यूपी में व्यावसायिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल, अनुपूरक अनुदान लेकर भी योजनाएं ठप
उत्तर प्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अनुपूरक अनुदान प्राप्त करने के बावजूद, कई योजनाएं ठप पड़ी हैं, जिसस ...और पढ़ें

मूल बजट का 402 करोड़ रुपये नहीं किया वापस
300 करोड़ बेकार पड़े रहने पर भी उठाए सवाल
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने व्यावसायिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार विभाग ने योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी लापरवाही बरती और स्वीकृत बजट का पूरा उपयोग नहीं किया।
मूल बजट की बची हुई 402.24 करोड़ रुपये की धनराशि वित्त विभाग को समय पर वापस नहीं की गई, जिसे सीएजी ने वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन माना है।
इतना ही नहीं, जुलाई 2024 में विभाग ने अनावश्यक रूप से 300 करोड़ रुपये का अनुपूरक अनुदान भी ले लिया, किंतु पहले से उपलब्ध धनराशि ही खर्च नहीं हो सकी। यह पूरी रकम विभाग के पास बेकार पड़ी रही, जिससे सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग की स्थिति बनी।
सीएजी रिपोर्ट में योजनावार खर्च की स्थिति भी चिंताजनक बताई है। दस्तकार प्रशिक्षण योजना में 26 करोड़ रुपये के बजट के मुकाबले मात्र 16.75 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। प्रदेश में दो मेगा राजकीय आइटीआइ खोलने के लिए स्वीकृत एक करोड़ रुपये में से एक भी रुपये का उपयोग नहीं हुआ।
इसी प्रकार मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना में 70 करोड़ रुपये के बजट में से मात्र 1.49 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समय पर धनराशि वित्त विभाग को वापस न करना और अनुपूरक अनुदान लेकर भारी रकम फंसाए रखना विभागीय लापरवाही को दर्शाता है।

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