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    आय से अधिक संपत्ति और फर्जी ठेके! भ्रष्टाचार में फंसे यूपीएसटीडीसी के सीजीएम; हटाने की तैयारी

    Updated: Tue, 20 May 2025 10:43 PM (IST)

    UP News | भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के मुख्य महाप्रबंधक नवीन कपूर को हटाने की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है। स ...और पढ़ें

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    भ्रष्टाचार में फंसे यूपीएसटीडीसी के सीजीएम, हटाने की तैयारी। (तस्वीर जागरण)

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (यूपीएसटीडीसी) के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) नवीन कपूर को हटाने की तैयारी शासन ने शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार विजिलेंस ने उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

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    यूपीएसटीडीसी में उनकी तैनाती को लेकर कई बड़े अधिकारी भी सवालों के घेरे में हैं। इन अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जा सकती है।

    नवीन कपूर यूपीएसटीडीसी से पहले यूपी प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात थे। लखनऊ निवासी महेश श्रीवास्तव ने लोकायुक्त कार्यालय को शिकायत कर उनके विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने के आरोप लगाए थे।

    शिकायत में यह आरोप भी लगाए गए थे, वह अपने करीबी ठेकेदारों को कमीशन लेकर काम देते थे। उन्होंने नोएडा और गाजियाबाद में अपने करीबियों के नाम पर कई संपत्तियां खरीदी हैं। इनमें मकान, दुकान और एक औद्योगिक प्रतिष्ठान भी शामिल है।

    इसी शिकायत के आधार पर लोकायुक्त कार्यालय द्वारा शासन को पूरे मामले की सीबीआइ, विजिलेंस या ईडी से जांच कराने की सिफारिश की गई थी। शासन ने बीते वर्ष जनवरी में मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी थी। सूत्रों के अनुसार विजिलेंस ने भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी है। इसके बाद उन्हें यूपीएसटीडीसी के सीजीएम के पद से कभी भी हटाया जा सकता है।

    प्रमुख सचिव व मंत्री में खींचतान

    पर्यटन विभाग के सूत्रों के अनुसार नवीन कपूर को हटाने को लेकर प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के बीच खींचतान बढ़ गई है। प्रमुख सचिव फिलहाल लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। वहीं पर्यटन मंत्री का कहना है कि इस मामले को लेकर प्रमुख सचिव के साथ उनकी कोई खींचतान नहीं चल रही है।

    वरिष्ठ अधिकारियों की समिति की सिफारिश पर सीएमडी जैसे पदों पर तैनाती की जाती है। समिति में शामिल अधिकारियों ने किस आधार पर उनकी तैनाती की संस्तुति की थी यह बड़ा सवाल है।

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