उत्तर प्रदेश में तीन चरणों में लागू होगी वेस्ट वॉटर मैनेजमेंट योजना, वेस्ट वॉटर से भी होगी खेती और चलेंगी इंडस्ट्री
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2035 तक शत-प्रतिशत अपशिष्ट जल (वेस्ट वॉटर) के सुरक्षित पुन: उपयोग का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में य ...और पढ़ें

उत्तर प्रदेश में 2035 तक शत-प्रतिशत वेस्ट वॉटर का होगा पुन: उपयोग
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जल सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक छलांग लगाने जा रहा है। प्रदेश सरकार ने संकल्प लिया है कि वर्ष 2035 तक राज्य में पैदा होने वाले शत-प्रतिशत 'वेस्ट वॉटर' (अपशिष्ट जल) का सुरक्षित पुन: उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। यह पहल न केवल भूजल पर बढ़ते दबाव को कम करेगी, बल्कि कृषि और उद्योगों के लिए जल की उपलब्धता का एक स्थायी विकल्प भी तैयार करेगी। भविष्य की पीढ़ियों को सुरक्षित जल प्रबंधन की नींव सौंपने के लिए योगी सरकार ने एक व्यापक और चरणबद्ध नीति को धरातल पर उतारना शुरू कर दिया है।
वेस्ट वॉटर बनेगा आर्थिक संसाधन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुसार, अब वेस्ट वॉटर को समस्या के बजाय एक आर्थिक संसाधन के रूप में देखा जाएगा। राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के परियोजना निदेशक जोगिन्दर सिंह के अनुसार, उपचारित जल (Treated Water) का उपयोग नगर निकायों के दैनिक कार्यों, औद्योगिक इकाइयों, कृषि सिंचाई और गैर-पेय घरेलू कार्यों में किया जाएगा। इससे पर्यावरण संतुलन बेहतर होगा और नदियों के संरक्षण को भी मजबूती मिलेगी।
तीन चरणों वाला स्पष्ट रोडमैप
योगी सरकार ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए समयबद्ध रणनीति तैयार की है:
पहला चरण (2025–2030): जिन क्षेत्रों में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) सुविधाएं मौजूद हैं, वहां 50 प्रतिशत वेस्ट वॉटर के पुन: उपयोग का लक्ष्य है।
दूसरा चरण (2030–2035): मौजूदा क्षेत्रों में क्षमता विस्तार कर इसे 100 प्रतिशत तक पहुंचाया जाएगा।
तीसरा चरण (2045 तक): नए क्षेत्रों में जहाँ अभी सुविधाएँ नहीं हैं, वहाँ चरणबद्ध ढंग से 30 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और अंततः 100 प्रतिशत उपयोग की व्यवस्था होगी।
राष्ट्रीय मॉडल बनेगा उत्तर प्रदेश
इस योजना के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग विशिष्ट प्लानिंग की जा रही है। सीएम योगी के निर्देश पर जल प्रबंधन की इस नीति का मूल उद्देश्य प्राकृतिक जल संसाधनों पर निर्भरता कम करना और सतत विकास को गति देना है। वेस्ट वॉटर को संसाधन में बदलने की यह कवायद उत्तर प्रदेश को जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक 'नेशनल मॉडल' के रूप में स्थापित करेगी।

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