दो हजार से ज्यादा जाली आयुष्मान कार्ड बनाने वाले साइबर कैफे संचालक समेत सात गिरफ्तार
Lucknow Crime News: गिरोह के लोगों की अस्पतालों में सेटिंग है। इन अस्पतालों में यह लोग फर्जी कार्ड को भी नहीं चेक करते थे, जिससे कभी कोई पकड़ा नहीं जा ...और पढ़ें

फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाकर कर ठगी करने वाले गिरोह के सात ठग
जागरण संवाददाता, लखनऊ: आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाइ) में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा कर सैकड़ों लोगों के कार्ड बनाने वाले गिरोह के सरगना सहित सात लोगों को एसटीएफ ने दबोचा। सरगना साइबर कैफे संचालक समेत सात लोगों को गुरुवार को एसटीएफ ने गोमतीनगर विस्तार के खरगापुर इलाके से दबोचा है।
गिरोह ने दो हजार से ज्यादा फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाकर सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया है। एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि गिरोह के अन्य जालसाजों की तलाश में तीन टीमें लगी हैं। एएसपी ने बताया कि सरगना चन्द्रभान वर्मा ने पूछताछ में बताया कि वर्ष 2024 में उसने खरगापुर में साइबर कैफे खोला था। इसी दौरान वह लोहिया अस्पताल में अपनी बहन का इलाज कराने गया था। वहां एक पोस्टर देखा, जिसमें आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए संपर्क करने को नंबर दिया गया था।
उस नंबर पर उसने संपर्क किया तो एक व्यक्ति से बात हुई। उसने बताया कि वह तीन हजार रुपये तक में अपात्र व्यक्ति का आयुष्मान कार्ड बनवा सकता है। इस पर उसने एक अपात्र व्यक्ति का आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए छह हजार रुपये लिए और तीन हजार रुपये उस व्यक्ति को भेजकर आयुष्मान कार्ड बनवा लिया। उस कार्ड से फ्री में इलाज करवाया गया। इसके बाद वह उससे अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाने का काम करने लगा।
उससे अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाने के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि एक व्यक्ति से यह काम कराता हूं। उसका एड मेंबर करने का एक पोर्टल है, जो आयुष्मान कार्ड के लिए पात्र फैमिली के मुखिया पर जाने वाली ओटीपी बाइपास कर अपात्र व्यक्ति के आधार की ओटीपी से एड कर देता है। इसके बाद यह कार्ड एप्रुवल के लिए इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी में पहुंच जाता है, जहां सेटिंग है। वहां से वह कार्ड का डेढ़ हजार रुपये में एप्रुवल हो जाता है।
इसी दौरान उसकी मुलाकात राजेश मिश्रा से हुई, जो आइएसए (मेडी असिस्ट इंश्योरेन्स टीपीए प्रालि) में एक्जीक्यूटिव था। उससे पूरी बात बताई तो उसने कहा कि आप किसी की फैमिली में एड मेंबर कराकर भेजवा दें, तो वह एप्रुवल का कार्य कर लेगा। उसके माध्यम से कई लोगों के कार्ड बनवाए। सभी का दो हजार रुपये मेंबर एड कराने के लिए देने लगा। प्रति कार्ड लोगों से छह हजार रुपये लेते थे। इस दौरान कई वेंडर भी उनके गिरोह से जुड़ गए, जो फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाने का कार्य करते थे।
राजेश मिश्रा ने अगस्त 2025 में नौकरी छोड़ दी। तब वह फर्जी कार्ड एप्रूवल का कार्य राजेश मिश्रा के माध्यम से मेडी असिस्ट इंश्योरेन्स टीपीए प्रालि में एक्जीक्यूटिव के पद पर तैनात सौरभ मौर्या व सुजीत कनौजिया से कराने लगा। यह लोग भी उतने रुपये लेते थे। कभी-कभी कुछ कार्ड एएसए से रिजेक्ट कर दिए जाते थे, तो यह कार्ड एसएचए चले जाते थे। वहां विश्वजीत उनको एप्रूव करता था। वह प्रति कार्ड पांच हजार रुपये लेता था।
अस्पतालों में सेट हैं लोग, नहीं चेक करते कार्ड
गिरोह के लोगों की अस्पतालों में सेटिंग है। इन अस्पतालों में यह लोग फर्जी कार्ड को भी नहीं चेक करते थे, जिससे कभी कोई पकड़ा नहीं जाता था। इस दौरान एक आयुष्मान कार्ड पकड़ा गया, तो इसकी जांच एसटीएफ के पास पहुंची थी। जिससे यह काम सीखा था उसका पता लगाया जा रहा है।
यह लोग गिरफ्तार
सरगना चंद्रभान वर्मा (मूल निवासी पट्टी, प्रतापगढ़, वर्तमान पता खरगापुर) राजेश मिश्रा (जैदपुर,बाराबंकी), सुजीत कनौजिया (सफदरगंज, बाराबंकी), सौरभ मौर्या (जैदपुर, बाराबंकी), विश्वजीत सिंह (परसपुरा,गाजीपुर), रंजीत सिंह (माल, लखनऊ) आयुष्मान मित्र कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट लखनऊ और अंकित यादव (सैफई,इटावा)। इनके पास से 12 मोबाइल, पांच लैपटाप, 129 लोगों के फर्जी दस्तावेज, 70 लोगों के जाली आयुष्मान कार्ड, 22 एटीएम कार्ड, नकदी और एक कार समेत अन्य माल बरामद हुआ है।

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