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    UP State Tax Department Scam: यूपी राज्य कर विभाग में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल, महकमे में मचा हड़कंप, जांच हुई तो…

    By Edited By: Shivam Yadav
    Updated: Thu, 28 Sep 2023 10:03 PM (IST)

    राज्यकर विभाग में फैले भ्रष्टाचार के मामले में एक विधायक ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। विधायक द्वारा लिखा गया पत्र और उससे पहले इसी संबंध में शासन को भेजी गई एक अन्य शिकायत की शब्दावलियां एक जैसी हैं। दोनों पत्रों में आईएएस अधिकारी ओपी वर्मा पर 70 लाख रुपये लेकर एक अधिकारी को भ्रष्टाचार मामले में आरोप मुक्त करने का आरोप लगाया गया है।

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    राज्यकर विभाग में भ्रष्टाचार के मामले में विधायक ने भी मुख्यमंत्री से की शिकायत

    लखनऊ, राज्य ब्यूरो: राज्यकर विभाग में फैले भ्रष्टाचार के मामले में एक विधायक ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। बुंदेलखंड के इस विधायक द्वारा लिखा गया पत्र और उससे पहले इसी संबंध में शासन को भेजी गई एक अन्य शिकायत की शब्दावलियां एक जैसी हैं।

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    दोनों पत्रों में आईएएस अधिकारी ओपी वर्मा पर 70 लाख रुपये लेकर एक अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में आरोप मुक्त करने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, ओपी वर्मा ने खुद ही इस मामले में शासन को पत्र लिखकर स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है।

    मामले ने पूरे महकमे में हड़कंप मचा दिया

    सीजीएसटी के बाद जीएसटी में फैले भ्रष्टाचार के मामले ने पूरे महकमे में हड़कंप मचा दिया है। हाल ही में सीजीएसटी में तैनात सोमेश तिवारी ने विभाग के कुछ उच्च अधिकारियों पर 200 करोड़ करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला करने का आरोप लगाया था। उन्होंने इस संदर्भ में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर जांच करवाने की मांग की है। 

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    अभी मामला ठंडा नहीं हुआ था कि राज्य कर विभाग में तैनात अपर आयुक्त प्रशासन पर 70 लाख रुपये लेकर एक अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में की गई जांच में आरोप मुक्त करने का आरोप लग गया है। 

    एक विधायक ने भी इसी मामले में शासन को पत्र लिखा 

    इस संबंध में रविंदर सिंह बिष्ट नामक एक व्यक्त ने शासन व आयुक्त को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की है। साथ ही बुंदेलखंड के एक विधायक ने भी इसी मामले में शासन को पत्र लिखा है। दोनों पत्रों की शब्दावलियां एक जैसी हैं। इन्हें पढ़ने के बाद स्पष्ट होता है कि दोनों पत्रों को लिखने वाला एक ही व्यक्ति हो सकता है। अब अगर शासन ने पूरे मामले की जांच करवाता है तो निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार में शामिल कई नाम सामने आएंगे।

    यह है अंदर का खेल

    विभाग में कुछ अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से आईटीसी का लाभ लेने वाली कंपनियों को संरक्षण दिया जाता है। इसके बदले में मोटी रकम वसूली जाती है। चार साल पुराने 382 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के जिस मामले से पूरे प्रकरण के तार जुड़े हैं वह भी इसी का हिस्सा है। 

    इस मामले में भी गलत तरीके से आईटीसी का लाभ लेने वाली कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई की गई तो कार्रवाई करने वाले अधिकारी को ही शिकायत करके फंसा दिया गया। विभाग में इस प्रकार के कई मामले हो चुके हैं, जिनमें बड़ी टैक्स चोरी पकड़ने वाले अधिकारियों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया।

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