यूपी में Smart Prepaid Meter का चेक मीटर से मिलान की प्रगति नहीं है संतोषजनक, केंद्र सरकार को नहीं भेजी गई रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की रीडिंग को लेकर उपभोक्ताओं में असंतोष है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार चेक मीटर लगाने के बावजूद उनकी रिपोर् ...और पढ़ें

स्मार्ट प्रीपेड मीटर का चेक मीटर से मिलान की प्रगति संतोषजनक नहीं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की रीडिंग को लेकर असमंजस और अविश्वास बना हुआ है। इस मीटर की विश्वसनीयता जाांचने के लिए पांच प्रतिशत चेक मीटर लगाने का निर्देश था, लेकिन इस पर अमल करने के बावजूद चेक मीटर की रिपोर्ट केंद्र सरकार को नहीं भेजी गई। जबकि भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय एवं रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉपोरेशन लिमिटेड (आरईसी) ने चेक मीटर लगाकर हर माह रिपोर्ट भेजने के लिए कहा था।
विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर सिर्फ एक लाइन में यह जवाब देना कि इसकी रीडिंग बिल्कुल सही है, सवाल खड़े करता है। उधर, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का कहना है कि चेक मीटर में कोई गड़बड़ी नहीं मिली, स्मार्ट मीटर सटीक साबित हो रहे हैं।
प्रदेश में 22 दिसंबर तक कुल 56,82,784 स्मार्ट प्रीपेड मीटर के सापेक्ष 3,76,596 चेक मीटर स्थापित किए गए हैं, जो छह प्रतिशत से अधिक है। इन मीटरों की रीडिंग, मिलान रिपोर्ट एवं विश्लेषण न तो सार्वजनिक किया गया है और न ही भारत सरकार को भेजा गया है।
प्रदेशभर के विद्युत उपभोक्ताओं की शिकायतें भी लगातार मिल रही हैं। कहीं अचानक लोड जंप हो रहा है, कहीं रीडिंग असामान्य रूप से तेज चल रही है, जिससे उपभोक्ताओं में गहरा असंतोष और अविश्वास पैदा हुआ है।
परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन बिजली कंपनियों की वेबसाइट पर चेक मीटर से संबंधित मिलान रिपोर्ट सार्वजनिक करें।
निजीकरण की कार्यवाही निरस्त करने की मांग
ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा द्वारा विधानसभा में निजीकरण का निर्णय अभी न होने संबंधी बयान पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि अगर ऐसा है तो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त करना चाहिए।
समिति ने कहा कि पिछले वर्ष 25 नवंबर को पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने उक्त दोनों निगमों के निजीकरण का ऐलान किया था, जिसको लेकर बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता विगत 13 माह से आंदोलनरत हैं। समिति ने कहा कि निदेशक वित्त के पद पर निधि नारंग को इसी निजीकरण के नाम पर तीन बार सेवा विस्तार दिया गया।

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