कैसे होगा गांवों का विकास, योजनाओं पर 22.27 प्रतिशत बजट ही खर्च कर पाया ग्राम्य विकास विभाग
UP Rural Development Department: इनमें भी प्रधानमंत्री आवास योजना सहित कई महत्वपूर्ण योजनाओं में खर्च की स्थिति शून्य है। ऐसे में अब वित्तीय वर्ष के श ...और पढ़ें

ग्राम्य विकास विभाग
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : प्रदेश के सभी गांवों का विकास सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था भी की जाती है, लेकिन इतना सब होने के बाद भी ग्राम्य विकास की गति तेज नहीं हो पा रही है।
बजट खर्च करने में विभागीय सुस्ती इसकी रफ्तार को धीमा कर रही है। सरकार ने तो वर्तमान वित्तीय वर्ष में भारी-भरकम बजट का प्रविधान किया है, परंतु इसके खर्च में विभाग पिछड़ा है। साढ़े आठ माह में ग्राम्य विकास विभाग योजनाओं के बजट में से केवल 22.27 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया है। इनमें भी प्रधानमंत्री आवास योजना सहित कई महत्वपूर्ण योजनाओं में खर्च की स्थिति शून्य है। ऐसे में अब वित्तीय वर्ष के शेष समय में बजट का शत प्रतिशत खर्च होना मुश्किल लग रहा है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 में ग्राम्य विकास विभाग के लिए कुल 24304.31 करोड़ रुपये का बजट प्रविधान किया गया था, इसमें से योजनाओं के लिए 22759.99 करोड़ रुपये का प्रविधान है। योजनाओं के बजट की स्वीकृति और खर्च, दोनों मामलों में विभाग की गति अत्यंत धीमी है।
15 दिसंबर तक विभाग ने योजनाओं के लिए प्रविधानित बजट के मुकाबले केवल 35.98 प्रतिशत यानी 8189.27 करोड़ रुपये की ही स्वीकृति जारी की थी। इसमें से भी 5069.60 करोड़ रुपये की खर्च किए जा सके थे, जो कि योजनाओं के लिए प्रविधानित कुल बजट का केवल 22.27 प्रतिशत ही बैठता है।
विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट खर्च के मामले में स्थिति और खराब नजर आती है। इनमें शामिल प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में तो एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया था। वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 0.4 प्रतिशत और मुख्यमंत्री आवास योजना में 15.8 प्रतिशत बजट खर्च हुआ था।
महत्वपूर्ण योजनाओं में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा में खर्च सबसे अधिक है, जो 35.09 प्रतिशत थी। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास सौरभ बाबू ने बताया कि विभाग की सभी योजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है। बजट का पूरा उपयोग किया जाएगा।

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