D.El.Ed के पाठ्यक्रम में होने वाला है बड़ा बदलाव, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हुई नई पहल
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों को अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल टूल्स से प्रशिक्षित किया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत डीएलएड पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है जिसमें एआइ डिजिटल शिक्षण और नई शिक्षण विधियाँ शामिल होंगी। इस परिवर्तन का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना और शिक्षकों को भविष्य के लिए तैयार करना है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अब प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले भावी शिक्षक सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और डिजिटल टूल्स से लैस होकर बच्चों को पढ़ाएंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत उत्तर प्रदेश में डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) का पाठ्यक्रम अगले शैक्षिक सत्र से पूरी तरह बदलने जा रहा है। यह बदलाव न सिर्फ शिक्षक प्रशिक्षण को आधुनिक बनाएगा, बल्कि विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता को भी नई दिशा देगा।
प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक बनने के लिए डीएलएड अनिवार्य है। इस कोर्स में भावी शिक्षकों को बच्चों की मनोविज्ञान, शिक्षण कौशल, कक्षा प्रबंधन और आधुनिक शिक्षा पद्धति की ट्रेनिंग दी जाती है। स्नातक में 50 प्रतिशत अंक वाले अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर इसमें प्रवेश मिलता है।
प्रदेश में डीएलएड की 2.31 लाख सीटें हैं, जिनमें लगभग 1.91 लाख प्रशिक्षु अध्ययनरत हैं। फिलहाल दो वर्षीय डीएलएड कोर्स में शिक्षाशास्त्र, बाल विकास, मनोविज्ञान, भाषा, गणित, सामाजिक अध्ययन और प्रायोगिक शिक्षण जैसे पारंपरिक विषय पढ़ाए जाते हैं।
अब इसमें एआइ, डिजिटल प्लेटफार्म पर शिक्षण, लर्निंग आउटकम आधारित पद्धति और अधिक प्रयोगात्मक गतिविधियां शामिल होंगी। साथ ही जीवन कौशल, समावेशी शिक्षा और आकलन की नई विधियों पर भी विशेष जोर दिया जाएगा।
एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) इन बदलावों की रूपरेखा तैयार कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नया पाठ्यक्रम प्रशिक्षु शिक्षकों को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार करेगा।
एआइ और डिजिटल तकनीक का समावेश शिक्षकों को बच्चों की जिज्ञासा और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा। इससे प्रशिक्षण प्रक्रिया अधिक उपयोगी और रोचक होगी।
उम्मीद है कि इस बड़े बदलाव के बाद डीएलएड में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ेगी। यानी, आने वाले समय में प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक तकनीक और प्रयोगात्मक शिक्षण से बच्चों का भविष्य गढ़ेंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।