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    UPPCL: यूपी में बिजली बिल बढ़ने वाला है? पावर कॉर्पोरेशन ने 7 दिन का मांगा समय; 15% तक बढ़ सकती हैं दरें

    By Jagran NewsEdited By: Sakshi Gupta
    Updated: Fri, 16 May 2025 10:02 PM (IST)

    पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन द्वारा विद्युत नियामक आयोग से एआरआर के आंकड़े प्रकाशित करने के लिए सात दिन का अतिरिक्त समय मांगने से बिजली दरों में वृद्धि की आशंका बढ़ गई है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने नियामक आयोग से मांग की है कि यदि कंपनियों को समय दिया जाता है तो उपभोक्ताओं को भी आपत्तियां दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए।

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    बिजली दरें बढ़वाने का प्रस्ताव दाखिल कर सकता है पावर कॉर्पोरेशन। (तस्वीर जागरण)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में आवेदन कर वित्तीय वर्ष 2025-26 के वार्षिक राजस्व आवश्यक्ता (एआरआर) के आंकड़े समाचार पत्रों में छपवाने के लिए सात दिन का समय देने की मांग की है।

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    समय बढ़ाने की मांग के बाद आशंका व्यक्त की जा रही है कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन अब बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव आयोग में दाखिल कर सकता है।

    गौरतलब है कि विद्युत नियामक आयोग ने बीते नौ मई को एआरआर स्वीकार करते हुए बिजली कंपनियों को तीन दिन में एआरआर के आंकड़े समाचार पत्रों में प्रकाशित कराने के निर्देश दिए थे। नौ मई के बाद तीन कार्य दिवसों के लिहाज से आंकड़ों का प्रकाशन 15 मई तक हो जाना चाहिए था, जो कि नहीं कराया गया।

    पावर कॉर्पोरेशन ने इसके लिए मांगा समय

    पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य ने अब इसके लिए सात दिन का समय मांगा है। पत्र में लिखा है कि कुछ आंकड़े जो आयोग व आम जनता के बीच ले जाने हैं वह तैयार नहीं हैं। इसकी जानकारी मिलने पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार तता सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की। जिसमें उन्होंने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन की मंशा ठीक नहीं लग रही है।

    प्रबंधन बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव अब दाखिल करना चाहता है। पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को लेने के लिए इच्छुक निजी घराने भी दरें बढ़वाना चाहते हैं। इसके लिए दबाव भी बना रहे हैं। प्रबंधन 12 से 15 प्रतिशत तक बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव दाखिल करना सकता है।

    उन्होंने नियामक आयोग से मांग की कि बिजली कंपनियों को एक सप्ताह का समय देने की स्थिति में उपभोक्ताओं को भी सुझाव व आपत्तियां दाखिल करने के लिए कम से कम एक महीने का समय दिया जाए। गौरतलब है कि इस एआरआर में बिजली कंपनियों ने कुल घाटा 9206 करोड़ रुपये का दिखाया है।

    इसे भी पढ़ें- UPPCL: यूपी में विद्युत विभाग की बढ़ी टेंशन, बिजली की न्यूनतम मांग में 2300 मेगावाट की हुई वृद्धि