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    UP Politics: सामने आ गई अनुप्रिया पटेल के ‘पत्र’ की असल वजह, लोकसभा चुनाव से निकला कनेक्शन!

    Updated: Sun, 30 Jun 2024 11:10 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचाने वाले पत्र की असल वजह सामने आई है। अनुप्रिया पटेल द्वारा भर्तियों में आरक्षण के मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार को लिखा गए पत्र के पीछे का कारण लोकसभा चुनाव में खिसके जनाधार को माना जा रहा है। वहीं अनुप्रिया के पति आशीष पटेल ने भी एक इंटरव्यू के दौरान इस ओर संकेत किया था।

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    अनुप्रिया पटेल और योगी आदित्यनाथ का फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। एनडीए की सहयोगी अपना दल (एस) को लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अब पिछड़ों की याद आई है। अपने खिसकते जनाधार को बचाने के लिए अनुप्रिया ने भर्ती में आरक्षण का मुद्दे को हवा देते हुए जहां मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। वहीं, उनके पति व प्रदेश सरकार में मंत्री आशीष पटेल ने छह दिन पहले मीरजापुर में एनडीए के खराब प्रदर्शन के लिए प्रदेश स्तर पर पिछड़ों की समस्याएं हल न होना बताया था।

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    आशीष पटेल ने 22 जून को एक चैनल से यहां तक कहा कि यूपी के स्तर पर यदि पिछड़ाें के विषय हल कर लिए गए होते तो विपक्ष भ्रम न फैला पाता। 69 हजार शिक्षक भर्ती हो या फिर दूसरे विषय इन्हें समय रहते हल कर लिया जाना चाहिए था।

    विपक्ष संविधान बदलने के नाम पर भ्रम फैलाने में कामयाब हो गया और हम उसकी काट नहीं ढूंढ पाए। इसके छह दिनों बाद 27 जून को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने भर्तियों में आरक्षण के मुद्दे को हवा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख दिया।

    सरकार ने भी दिया दो टूक जवाब

    अनुप्रिया ने पत्र पर सरकार ने दो टूक जवाब देते हुए साफ कहा कि भर्तियों में आरक्षण को पूरी तरह पालन कराया जा रहा है। राजनीतिक गलियारे में इस पत्र व उनके पति द्वारा पिछड़ों की समस्याएं हल न होने के आरोप पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। 

    चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अचानक पिछड़ों के मुद्दे उठाकर अपनी ही सरकार को घेरने के पीछे की मंशा के भी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। इस कदम को भावी राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। 

    अनुप्रिया लगातार तीसरी बार केंद्र में मंत्री बनी हैं, जबकि उनके पति आशीष मार्च 2022 से प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। किंतु दोनों ने ही इससे पहले कोई आवाज नहीं उठाई। अब जब पिछड़ों की राजनीति करने वाली अपना दल (एस) की जमीन खिसकी तब उन्हें आरक्षण व पिछड़ों के मुद्दों की याद आई है।

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