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    UP Police : डीजीपी राजीव कृष्णा ने माना, बढ़ रहे आर्थिक अपराध उत्तर प्रदेश पुलिस के सामने बड़ी चुनौती

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 05:46 PM (IST)

    DGP Rajeev Krishna in EOW Seminar कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में लोगों के साथ आर्थिक अपराध होते हैं। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि लोग बैंकों व निजी संस्थानों की जिस योजना में पैसा लगा रहे हैं पहले उसके बारे में संबंधित सरकारी सूचना तंत्र से पूरी जानकारी प्राप्त कर लें।

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    उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्णा

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : ‍उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्णा ने माना कि बढ़ रहे आर्थिक अपराध पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। डीजीपी ने सोमवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्लू) के एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।

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    राजीव कृष्णा ने कहा कि साइबर अपराध में तेजी आने के बाद आर्थिक अपराधों की संख्या में और बढ़ोतरी हुई है। एक दूसरे को जागरूक करके आर्थिक अपराध से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में लोगों के साथ आर्थिक अपराध होते हैं। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि लोग बैंकों व निजी संस्थानों की जिस योजना में पैसा लगा रहे हैं पहले उसके बारे में संबंधित सरकारी सूचना तंत्र से पूरी जानकारी प्राप्त कर लें।

    ईओडब्ल्यू का केस मैनेजमेंट साफ्टवेयर लांच

    उन्होंने कहा कि आर्थिक अपराधों  से प्रदेश की अर्थव्यवस्था और नागरिकों के जमा पूंजी प्रभावित हो रही है। उन्होंने ईओडब्लू के नए लोगो व केस मैनेजमेंट साफ्टवेयर (सीएमएस) को लांच किया। कहा कि सीएमएस के जरिए आर्थिक अपराधों को हल करने में तेजी आएगी। पत्राचार में समय नहीं बर्बाद होगा। डीजीपी ने आर्थिक अपराधों को लेकर नागरिकों  को जागरूक करने संबंधी पुस्तिकाओं का भी विमोचन किया। साथ ही एक लघु फिल्म का भी अनावरण किया।

    बैंक व वित्तीय संस्थानों तथा पुलिस के लिए आर्थिक अपराधों की जांच में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित कार्यशाला में सीबीआइ के संयुक्त निदेशक अशोक कुमार ने कहा कि नए नियमों  के अनुसार एक करोड़ रुपये से  नीचे के आर्थिक अपराधों की जांच पुलिस करती है। पुलिस को इसकी जानकारी कारपोरेट मंत्रालय को भी देनी होगी।

    बैलेंश शीट की जांच जरूर करें

    इसी प्रकार एक से छह करोड़ रुपये के आर्थिक अपराधों की जांच संबंधित जांच एजेंसी करती हैं, लेकिन छह करोड़ रुपये से ऊपर के मामलों  की जांच सीबीआइ को सौंपी जाती है। उन्होंने कहा कि बैंकों में होने वाली धोखाधड़ी की जांच में इस बात का ख्याल रखना जरूरी होता है कि बैलेंश शीट की जांच जरूर करें। वहीं से धोखाधड़ी का सुराग मिलता है।

    उन्होंने बताया कि आर्थिक अपराधों के मामलों को हल करने व आरोपितों को गिरफ्तार करने के लिए 45 देशों के साथ भारत का समझौता है, लेकिन अपराधी उन देशों में शरण ले लेते हैं जिनके साथ भारत का समझौता नहीं है। उन्होंने क्रेडिट व डेबिट कार्ड, एटीएम क्लोन, एनपीए खातों व ऋण में फर्जी दस्तावेजों को लेकर सजग रहने की अपील की।

    अशोक कुमार ने कहा कि इस प्रकार के ज्यादातर मामलों में बैंक कर्मी या उसके करीबी की मिलीभगत होती है। उन्होंने बैंकों के अधिकारियों से कहा कि धोखाधड़ी होने पर सबसे पहले संबंधित बैंक की बैलेंश शीट की जांच करें। ईओडब्लू की डीजी नीरा रावत ने कहा कि ईओडब्लू लोगों की जमापूंजी को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा उनके साथ है। आर्थिक अपराध की सूचना तत्काल दें और जांच में मदद करें। जागरूकता से लोगों की पूंजी बचाई जा सकती है।