UP News: महिला श्रम भागीदारी 14 से बढ़कर 36 प्रतिशत हुई, सरकार के नीतिगत निर्णयों से बढ़ी महिलाओं की भागीदारी
उत्तर प्रदेश में महिला श्रम भागीदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 2017-18 में यह 14% थी जो 2023-24 में बढ़कर 36% हो गई। राज्य सरकार ने महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। औद्योगिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए भी कई फैसले लिए गए हैं जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में महिला आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा बदलाव हो रहा है। महिला आर्थिक सशक्तीकरण सूचकांक (डब्ल्यूईई) की हालिया रिपोर्ट में वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश में महिला श्रम भागीदारी 36 प्रतिशत दर्ज की गई है। वर्ष 2017-18 में महिला श्रम भागीदारी महज 14 प्रतिशत थी। यानी छह साल में श्रम क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में 22 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि हुई है।
यह परिवर्तन सामाजिक ढांचे और आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी को लेकर ऐतिहासिक बदलाव की ओर इशारा करता है। महिला आर्थिक सशक्तीकरण सूचकांक के आंकड़े यह बता रहे हैं कि प्रदेश की महिलाएं अब पीछे नहीं हैं।
2017-18 में महिला श्रमशक्ति की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे थी। छह वर्षों में राज्य सरकार ने महिलाओं को सुरक्षित, सम्मानजनक और उत्पादक कार्य वातावरण देने की दिशा में काम किया।
महिला सुरक्षा, मिशन शक्ति से लेकर सरकारी नौकरियों में महिलाओं की विशेष भागीदारी, रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति देने के लिए नीतिगत निर्णयों में महिलाओं को केंद्र में रखा गया।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023-24 में देश की महिला श्रम भागीदारी दर 45 प्रतिशत है जबकि यूपी की हिस्सेदारी कुल 36 प्रतिशत रही। राष्ट्रीय औसत से कम होने के बाद भी 2017-18 के मुकाबले इस क्षेत्र में राज्य की महिलाओं ने ऊंची छलांग लगाई है। वर्ष 2017-18 में राज्य की भागीदारी मात्र 14 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय औसत 25 प्रतिशत से काफी नीचे थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जहां केंद्र सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अनेक योजनाएं लागू की वहीं प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने महिला स्वावलंबन को जमीनी हकीकत बनाने की दिशा में काम किया।
औद्योगिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के प्रयासों की दिशा में राज्य सरकार ने कई निर्णय लिए। महिलाओं को खतरनाक श्रेणी के 29 प्रकार के कारखानों में काम करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया।
यह अनुमति कुछ विशेष शर्तों और सुरक्षा मानकों के अधीन दी गई है। कारखानों को निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करने के निर्देश दिए गए। सरकार ने रात्रिकालीन पाली में महिलाओं को कार्य की अनुमति देकर एक और साहसिक पहल की।
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