UP News: राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों में यूपी के इन दो पंचायतों को मिला अवार्ड, गुजरात व बिहार के हाथ खाली
गांवों के सतत विकास के लक्ष्य की ओर दौड़ में देश के बड़े राज्य हांफते नजर आ रहे हैं। नौ लक्ष्यों को अलग-अलग श्रेणी में बांटकर पंचायतीराज मंत्रालय ने ...और पढ़ें

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। गांवों के सतत विकास के लक्ष्य की ओर दौड़ में देश के बड़े राज्य हांफते नजर आ रहे हैं। नौ लक्ष्यों को अलग-अलग श्रेणी में बांटकर पंचायतीराज मंत्रालय ने प्रतिस्पर्धा कराई तो अधिकतर पिछड़ गए। लगभग दो लाख 56 हजार ग्राम पंचायतों में से ढाई लाख पंचायतों ने पंजीयन कराया।
जब उन्हें मानकों पर परखा गया तो विभिन्न श्रेणियों में 13 पुरस्कार जीतकर तेलंगाना देश में अव्वल तो आठ पुरस्कारों के साथ ओडिशा दूसरे स्थान पर रहा, जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार और पंजाब जैसे बड़े राज्य खाली हाथ रह गए। सर्वाधिक पंचायतों वाले उत्तर प्रदेश को भी सिर्फ दो पुरस्कारों से ही संतोष करना पड़ा है।
प्रतिस्पर्धा में सभी राज्यों ने लिया भाग
पंचायतीराज मंत्रालय सतत विकास लक्ष्यों के प्रति ग्राम पंचायतों, ब्लाक पंचायतों और जिला पंचायतों को प्रेरित करने के लिए प्रतिवर्ष प्रतिस्पर्धा कराता है। पहले यह प्रतिस्पर्धा 17 सतत विकास लक्ष्यों को लेकर होती थी, लेकिन अब इन्हें नौ लक्ष्यों में एकीकृत कर दिया गया है। इस बार प्रतिस्पर्धा में शामिल होने में सभी राज्यों ने काफी उत्साह दिखाया है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश में लगभग दो लाख 56 हजार ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें से ढाई लाख ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के लिए नामांकन कराया। इसके बाद तय प्रक्रिया के तहत सबसे पहले ब्लाक स्तर पर तीन श्रेष्ठ ग्राम पंचायतें चुनी गईं। फिर सभी ब्लाकों की प्रविष्टियों में से जिला स्तर पर तीन पंचायतें चुनी गईं। यही प्रक्रिया राज्य स्तर पर अपनाई गई। इस तरह अलग-अलग श्रेणियों में सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से तीन-तीन प्रविष्टियां केंद्र सरकार को भेजी गईं।
उत्तर प्रदेश को यह दो पुरस्कार
बाल हितैषी पंचायत श्रेणी में सिद्धार्थनगर की हंसुड़ी औसनपुर ग्राम पंचायत को तीसरा पुरस्कार
नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत विकास श्रेणी में मुरादाबाद की मिलक अमावती ग्राम पंचायत को तीसरा पुरस्कार
सतत विकास लक्ष्य की यह थीं नौ श्रेणियां
- गरीबीमुक्त और बेहतर आजीविका वाले गांव
- स्वस्थ गांव
- बाल हितैषी गांव
- पर्याप्त जल वाले गांव
- स्वच्छ एवं हरित गांव
- आत्मनिर्भर बुनियादी संरचना गांव
- सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव
- सुशासन वाले गांव
- महिला हितैषी पंचायत।
13 पुरस्कार जीतकर तेलंगाना देश में अव्वल रहा। मप्र, राजस्थान गुजरात और बिहार को कोई भी पुरस्कार नहीं मिला।

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