UP News: दुष्प्रभाव के डर से 48 प्रतिशत नहीं खाते फाइलेरिया की दवा, अधिकारियों, प्रधानों, कोटेदारों को किया गया जागरूक
लखनऊ से खबर है कि फाइलेरिया की दवा खाने के बाद होने वाले लक्षणों के डर से 48% लोगों ने दवा नहीं खाई। राज्य फाइलेरिया अधिकारी डॉ. एके चौधरी ने अधिकारियों और प्रधानों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि दवा खाने से होने वाले लक्षण दुष्प्रभाव नहीं हैं बल्कि दवा का असर है। लगातार पांच साल तक दवा खाने से फाइलेरिया से बचा जा सकता है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। फाइलेरिया की दवा खाने के बाद यदि किसी व्यक्ति को खुजली, चकत्ते या चक्कर आता है तो ये कोई दुष्प्रभाव नहीं है। ये लक्षण बताते हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु थे और दवा का उन पर असर हो रहा है।
ऐसे ही दुष्प्रभावों के डर से 48 फीसदी से लोग फाइलेरिया की दवा नहीं खाते हैं। राज्य फाइलेरिया अधिकारी डॉ. एके चौधरी ने ये जानकारी शुक्रवार को पंचायती राज विभाग के अधिकारियों, प्रधानों, कोटेदारों व स्वयंसेवी सदस्यों को दी।
डाॅ. चौधरी ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत पांच साल तक लगातार कोई व्यक्ति दवा खा लेगा तो वह फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित हो जाएगा। यदि फाइलेरिया से प्रभावित क्षेत्र के 80 प्रतिशत से अधिक लोग दवा का सेवन कर लेंगे तो वह समुदाय बीमारी से सुरक्षित हो जाएगा।
इस बार भी सभी प्रधान ग्रामीणों के सामने स्वयं दवा खाकर अभियान की शुरुआत करें। अभियान की तिथि के बारे में ग्रामीणों को डुगडुगी बजवाकर व अन्य माध्यमों से दी जाए। गांव में साफ-सफाई रहे।
उन्होंने सहायक विकास अधिकारियों से एमडीए अभियान शुरू होने से पहले प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक करने की अपील की।
पंचायती राज विभाग के उपनिदेशक राघवेंद्र द्विवेदी ने सभी जिला पंचायत राज अधिकारियों व सहायक विकास अधिकारियों को इस कार्यक्रम से जुड़ने व स्वास्थ्य विभाग को सहयोग देने के निर्देश दिए।
मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि गर्भवती महिला, दो साल से कम उम्र के बच्चों व गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों के अलावा सभी को दवा खानी है। सभी को दवा अपने सामने ही खिलानी है।
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