UP Monsoon Session 2025 : विधानसभा में CM योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी दलों के शासनकाल से की अपनी सरकार की तुलना
UP Government Vision Document 2047 मानसून सत्र के चौथे दिनविधानसभा में विजन 2047 पर 24 घंटे से अधिक चली ऐतिहासिक चर्चा का समापन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्होंने 1947 से 2017 तक विपक्षी दलों के शासनकाल की तुलना अपनी सरकार के 2017 से 2025 तक के कार्यकाल से की।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को सदन में अपने साढ़े आठ साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए विपक्ष को जमकर आड़े हाथों लिया।
विधानसभा में विजन 2047 पर 24 घंटे से अधिक चली ऐतिहासिक चर्चा का समापन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्होंने 1947 से 2017 तक विपक्षी दलों के शासनकाल की तुलना अपनी सरकार के 2017 से 2025 तक के कार्यकाल से की।
2017 के बाद यूपी का हुआ कायाकल्प
मुख्यमंत्री ने 2017 के बाद डबल इंजन सरकार के तहत हुए बदलावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 2017 के बाद कानून का राज स्थापित हुआ। अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई। उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल बनाया गया और यूपी निवेशकों के लिए ड्रीम डेस्टिनेशन बन गया। योजनाओं का क्रियान्वयन बिना भेदभाव और तुष्टिकरण के हो रहा है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि आज यूपी की पहचान सुशासन से है। बेहतर कानून व्यवस्था, मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर और सरकार की सकारात्मक सोच ने यूपी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
योगी आदित्यनाथ की शायरी
बड़ा हसीन है उनकी ज़ुबान का जादू,
लगा के आग, बहारों की बात करते हैं।
जिन्होंने रात में चुन-चुन कर बस्तियाँ लूटी,
वही नसीबों के मारों की बात करते हैं ।।
बिना भेदभाव के योजनाओं का लाभ ही समावेशी विकास का मंत्र
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में समावेशी और समग्र विकास को उत्तर प्रदेश और भारत के विकास का आधार बताया। उन्होंने कहा, "हर विधानसभा क्षेत्र में विकास होना चाहिए और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के सभी तक पहुंचना चाहिए। समावेशी विकास ही 'विकसित यूपी' और 'विकसित भारत' की संकल्पना को साकार कर सकता है।" उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी चर्चा में विकास कम और सत्ता की चाहत ज्यादा दिखती है।
बीमारू राज्य और नीतिगत उदासीनता का शिकार हो गया था यूपी
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के अतीत की कड़वी सच्चाई को सामने रखते हुए कहा कि 1960 के बाद से राज्य लगातार गिरावट की ओर बढ़ा। उन्होंने कहा कि विशाल सामर्थ्य, उपजाऊ भूमि, नदियां और श्रमशक्ति होने के बावजूद नीतिगत उदासीनता के कारण यूपी 1980 के दशक के बाद देश का सबसे बीमारू राज्य बन गया।
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योजनाएं बनती थीं, घोषणाएं होती थीं, लेकिन न इच्छाशक्ति थी और न ही क्रियान्वयन का संकल्प। उन्होंने उस दौर की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि युवाओं को रोजगार नहीं मिलता था, किसानों को राहत नहीं थी और निवेशकों में भरोसे की कमी थी।
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अपराध और अराजकता का बोलबाला था। पलायन, गरीबी, इन्सेफलाइटिस और डेंगू जैसी बीमारियों से होने वाली मौतें, भ्रष्टाचार, भेदभाव और भाई-भतीजावाद ने यूपी को जकड़ रखा था।
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