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    विमानन ईंधन के लिए इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल को एकत्र करेगी सरकार, इन विभागों को सौंपी गई जिम्मेदारी

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 07:02 PM (IST)

    लखनऊ में सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने उपयोग किए गए खाद्य तेल को एकत्र करने की योजना बनाई है। इन्वेस्ट यूपी औद्योगिक विकास विभाग और यूपीनेडा को कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसएएफ नीति 2025 के तहत विभिन्न कृषि अवशेषों का उपयोग होगा जिससे किसानों को लाभ होगा और ग्रीन एविएशन इकोसिस्टम विकसित होगा।

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    इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल को एकत्र करेगी सरकार।

    मनोज त्रिपाठी, लखनऊ। सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) के उत्पादन के लिए राज्य सरकार इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल को एकत्र करेगी। इस्तेमाल हो चुके तेल को एकत्र करने के लिए कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी इन्वेस्ट यूपी, औद्योगिक विकास विभाग तथा यूपीनेडा (उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण) को सौंपी है।

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    एसएएफ के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली लगभग सामग्री राज्य में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इस्तेमाल किए गए तेज की उपलब्धता सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

    राज्य सरकार ने सतत विमानन ईंधन विनिर्माण प्रोत्साहन नीति-2025 तैयार की है। इस नीति को जल्द ही लागू किए जाने से पहले इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है, जिससे नीति के लागू होने के बाद विमान के जेट फ्यूल के उत्पादन में कोई रुकावट न आए।

    राज्य में पिछले कुछ वर्षों में कई हवाई अड्डों का निर्माण किया गया है। साथ ही विभिन्न गंतव्यों के लिए हवाई सेवाएं भी प्रारंभ की गई हैं। अयोध्या के बाद सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए भी हवाई सेवाएं शुरू की जा रही हैं।

    जेवर में तैयार हो चुके अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से हवाई सेवाओं का संचालन शुरू होने के बाद राज्य में विमान के ग्रीन ईंधन (जेट फ्यूल) की आवश्यकता बढ़ेगी। इसलिए सरकार समय रहते इस क्षेत्र में निवेश के अवसर तलाश रही है।

    एसएएफ नीति के तहत गन्ने की खोई, धान की भूसी, गेंहू का भूसा, कृषि अवशेषों (पराली) तथा इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल से जेट फ्यूल का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए किसानों को उचित मूल्य देकर फसल के अवशेषों को खरीदा जाएगा।

    इस नीति के जरिए सरकार राज्य में ग्रीन एविएशन इको सिस्टम विकसित करेगी। साथ ही राज्य में गन्ना किसानों और चीनी उद्योग को नई दिशा मिलेगी।

    गन्ने से बनने वाले शीरा की भी अच्छी कीमत मिलेगी। सरकार को उम्मीद है कि इस नीति के लागू होने के बाद सतत विमानन ईंधन के क्षेत्र में 3,000 करोड़ रुपये का प्रारम्भिक निवेश होगा। जेट फ्यूल के उत्पादन के लिए कचरा प्रबंधन संस्थानों व उद्योगों की भी मदद ली जाएगी।

    'जेट फ्यूल के उत्पादन से किसानों को होगा लाभ'

    औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी का कहना है कि राज्य में इथेनाल परिस्थितिकी तंत्र का विस्तार किया जा रहा है। इसी प्रकार सतत विमानन ईंधन नीति के तहत कम कार्बन उत्सर्जन वाले विमान के जेट फ्यूल का उत्पादन किया जाएगा।

    जिस प्रकार इथेनाल ने चीनी मिलों के लिए नया विकल्प खोला है उसी प्रकार जेट फ्यूल के उत्पादन से किसानों के लिए नया विकल्प खुलेगा। किसानों को फसलों के अवशेष की भी अच्छी कीमत मिलेगी।

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