उत्तर प्रदेश में खतरे के निशान पर गंगा-यमुना, बाढ़ से घिरी लाखों की आबादी; इन दो शहरों में हाई अलर्ट
उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के कारण गंगा और यमुना नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं जिससे प्रयागराज और वाराणसी जैसे शहर बुरी तरह प्रभावित हैं। हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं और कई गांव जलमग्न हो गए हैं। वाराणसी में शवदाह करने में भी कठिनाई हो रही है। प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है लेकिन पीड़ितों में जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित राजस्थान, मध्य प्रदेश में लगातार वर्षा के चलते उफनाई सहायक नदियों केन-बेतवा, चंबल का पानी गंगा और यमुना में पहुंचने से बाढ़ की स्थिति निरंतर विकराल होती जा रही है। दो नदियों गंगा और यमुना से तीन तरफ से घिरा प्रयागराज शहर बाढ़ की चपेट में आ गया है।
दोनों नदियां शनिवार सुबह ही खतरे का निशान पार कर गईं। इससे लगभग 40 हजार लोग बेघर हो चुके हैं। तीन लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। प्रशासन की ओर से जिले में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। वाराणसी में भी गंगा रात में खतरे के निशान पर पहुंच गई है।
दशाश्वमेध क्षेत्र में शीतला माता मंदिर, गंगा मंदिर, जल पुलिस बूथ पूरी तरह से पानी में समा चुका है। गंगा का पानी सड़क पर बह रहा है और गलियों में नावें चलने लगी हैं। एक लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बुंदेलखंड और आसपास के जिलों की नदियों में भी पानी लगातार बढ़ रहा है।
यमुना में आई बाढ़ के चलते फतेहपुर में कानपुर-बांदा मार्ग पर आवागमन दो दिन से ठप है। बांदा में एक प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नहर में बह गईं। हमीरपुर में मकान ढहने से मलबे में दबने से ग्रामीण की मौत हो गई। सोनभद्र में कनहर नदी में तैरने के दौरान डूबने से युवक-युवती की मौत हो गई।
बनारस में मणिकर्णिका घाट के पूरी तरह से डूब जाने के बाद गलियां जलाजल हो चुकी हैं। शवदाह करने वालों को नौका से शव लेकर घाट की छत तक पहुंचना पड़ रहा है। शवदाह गलियों में भी होना आरंभ हो गया है। बाढ़ से 26 गांव और शहर के 21 वार्ड प्रभावित हैं। गंगा के पलट प्रवाह से वरुणा के तटवर्ती क्षेत्रों में बस्तियों में पानी घुस जाने से 4735 लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में शरण लेने पर मजबूर हैं।
प्रयागराज में शहर तथा आसपास के नगरीय क्षेत्र की 60 बस्तियां और जिले के 63 गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। टोंस और बेलन नदियों में भी जल स्तर काफी बढ़ गया है। दोनों नदियां खतरे के निशान के बिल्कुल पास पहुंच गई हैं। जिले में 87 बाढ़ राहत चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है। कुल 13 राहत शिविरों में साढ़े तीन हजार से ज्यादा लोगों को शरण दी गई है।
फतेहपुर जिले मे अमौली तथा खागा तहसील के 50 गांवों में यमुना का पानी घुस गया है। चित्रकूट में राजापुर-बांदा राज्य मार्ग सहित सरधुआ-अर्की, मऊ-मवई और परदवां मार्ग जलमग्न हैं। उरई में यमुना का पानी खतरे के निशान से चार मीटर ऊपर बह रहा है। कानपुर देहात में यमुना खतरे के निशान से चार मीटर ऊपर बह रही है।
हमीरपुर में सांसद को लापता बताकर रखा 150 रुपये इनाम
बाढ़ के कहर के चलते पीड़ित जन सड़कों पर रातें बिताने को मजबूर हैं। पीड़ितों का आरोप है कि सपा सांसद अजेंद्र सिंह लोधी उनकी खोज खबर लेने नहीं पहुंचे।
इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म फेसबुक पर एक पोस्ट प्रचलित हो रही है, जिसमें सांसद को लापता बताकर खोजने वाले को डेढ़ सौ रुपये इनाम देने की बात भी लिखी है। इस संबंध में कई बार सांसद से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन काल रिसीव नहीं की गई।
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