बिजली विभाग में निजीकरण का प्रस्ताव होगा खारिज? अब उपभोक्ता परिषद ने कर दी ये मांग
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की है। परिषद का कहना है कि सरकार ने 90 दिनों के भीतर कमियों का जवाब नहीं दिया है इसलिए प्रस्ताव निरस्त होना चाहिए। परिषद ने निजीकरण के विरोध में दाखिल प्रस्तावों पर शीघ्र निर्णय लेने की भी मांग की है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज किए जाने की मांग विद्युत नियामक आयोग से की है। आयोग को दिए गए लोक महत्व प्रस्ताव के माध्यम से कहा है कि सरकार ने निजीकरण के प्रस्ताव में पाई गईं कमियों का जवाब 90 दिन बीत जाने पर भी नहीं दिए हैं।
ऐसे में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (कंडक्ट आफ बिजनेस) रेगुलेशन-2019 की धारा 51 के तहत निजीकरण प्रस्ताव को खारिज किया जाना चाहिए।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा विद्युत नियामक आयोग को परामर्श के लिए दिए गए निजीकरण के प्रस्ताव में आयोग ने 22 जून को संवैधानिक व वित्तीय कमियों को इंगित करते हुए उसे दूर करने को कहा था।
आयोग द्वारा कमियों को दूर करने के लिए निर्देश दिए हुए 90 दिन से अधिक बीत गए हैं। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (कंडक्ट आफ बिजनेस) रेगुलेशन-2019 की धारा 51 के तहत निर्धारित समय 90 दिन के अंदर जवाब दाखिल नहीं होने पर प्रस्ताव निरस्त करने का प्रविधान है।
आयोग द्वारा जारी किए गए किसी आदेश या निर्देश पर 90 दिन ही अपील करने के लिए होता है। लोक प्रस्ताव के माध्यम से परिषद ने निजीकरण के विरोध में दाखिल प्रस्तावों पर आयोग से शीघ्र निर्णय लेने की मांग भी की है।
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