बिहार चुनाव के बाद यूपी में शुरू हो सकती है बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया, विरोध करने की तैयारी में कर्मचारी
बिहार चुनाव के बाद यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। राज्य सरकार के इस कदम से बिजली कर्मचारियों में विरोध की भावना है, जो निजीकरण के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में हैं। कर्मचारियों का मानना है कि निजीकरण से उनकी नौकरी और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान होगा।

बिजली कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद तथा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिहार चुनाव के बाद पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का टेंडर जारी होने की संभावना जताई है। निजीकरण का पुरजोर विरोध करने के लिए बिजली कार्मिकों को अलर्ट जारी किया है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि पावर कारपोरेशन बिहार चुनाव संपन्न होने का इंतजार कर रहा है। इसके बाद बिजली दरों में वृद्धि और निजीकरण की प्रक्रिया तेज करेगा। निजीकरण की प्रक्रिया आगे की किसी भी कार्यवाही के प्रति परिषद सतर्क है।
पावर कारपोरेशन द्वारा अब बिजली दरों में बढ़ोत्तरी और निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का दबाव विद्युत नियामक आयोग पर बनाया जा रहा है। निजीकरण के खिलाफ हर स्तर पर संघर्ष किया जाएगा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने भी बिहार चुनाव के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए टेंडर जारी होने की संभावना व्यक्त की है।
पदाधिकारियों ने कहा है कि केंद्र सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता की शर्त के आधार पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किए जाने का पुरजोर विरोध किया जाएगा।
समिति ने प्रदेश के बिजली कर्मियों और अभियंताओं को संघर्ष के लिए तैयार रहने के लिए अलर्ट जारी किया है। बिहार चुनाव के बाद किसी भी समय पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की 51 प्रतिशत इक्विटी बेचने का टेंडर प्रकाशित कर दिया जाएगा।

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