UP Muslim Mla List 2022: यूपी चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक ने बढ़ाया अपना प्रतिनिधित्व, 34 उम्मीदवारों के हिस्से आई जीत
UP Muslim MLA 2022 Winner Candidate List वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव से मुस्लिमों की भागीदारी बढ़ी है। 2017 के चुनाव में 24 मुस्लिम विधायक चुने गये थे और इस बार 34 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई राजनीतिक दल मुस्लिम वोट बैंक हथियाने के लिए अपने-अपने दांव चल चुके हैं और काफी हद तक कामयाब भी रहे हैं। लेकिन दूसरों की जीत-हार तय करता यह समुदाय अपना बड़ा प्रतिनिधित्व खड़ा करने में कामयाब नहीं हो सका।
आबादी में 19.25 प्रतिशत से अधिक भागीदारी रखने वाला मुस्लिम कभी कांग्रेस की जीत आधार बनता था। फिर बसपा का दामन थामा और आखिरकार मुस्लिम समुदाय ने साइकिल की सवारी कर विधानसभा में अपने प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की राह तलाशी।
इस बार भी मुस्लिम ने सपा का साथ दिया और पिछले चुनाव की तुलना में अपना प्रतिनिधित्व कुछ हद तक बढ़ाने में कामयाब भी रहा, लेकिन पुरजोर कोशिश के बाद भी वह अपनी रिकार्ड भागीदारी को नहीं दोहरा सका। 2017 के चुनाव में 24 मुस्लिम विधायक चुने गये थे और इस बार 34 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
2002 के चुनाव से मुस्लिम की भागीदारी तो बढ़ी, लेकिन फिर अचानक 2017 के चुनाव में मुस्लिम विधायकों की भागीदारी न्यूनतम पर जा पहुंची थी। वर्ष 1996 में 39 मुस्लिम विधायक बने। 2002 में उनकी संख्या 44 हुई और 2007 में यह संख्या 56 तक पहुंची। 2012 के विधानसभा चुनाव में रिकार्ड 68 मुस्लिम विधायक चुने गये थे।
पिछले चुनाव में जो 24 मुस्लिम विधायक चुने गये थे, उनमें सबसे अधिक 17 साइकिल पर सवार थे। इस बार 33 जीते प्रत्याशियों में 31 साइकिल पर सवार हैं। जबकि दो ने राष्ट्रीय लोक दल व एक ने सुभाषपा के टिकट पर जीत दर्ज की है। हालांकि इस बार जिस तरह से मुस्लिम समुदाय एकजुट हुआ था, उसके अनुरूप परिणाम उसके हिस्से नहीं आया।
दरअसल, प्रदेश के 26 जिलों की लगभग 125 विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 से 35 प्रतिशत तक है। इन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं को निर्णायक भी माना जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश व रुहेलखंड के ऐसे विधानसभा क्षेत्र भी हैं, जहां मुस्लिम समाज की आबादी 50 प्रतिशत तक है। यही वजह है कि राजनीतिक दल मुस्लिम प्रत्याशियों के रूप में अपनी राजनीतिक बिसात बिछाते रहे हैं। मुस्लिम वोट बैंक में बिखराव के लिए भी दल अपनी चालें चलते रहे और उन्हें कई सीटों पर कामयाबी भी मिलती रही।
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