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    स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना से छह वर्षों में सुधरेगी हवा की सेहत, विश्व बैंक की मदद से बहु-क्षेत्रीय रणनीति

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 08:48 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से 'उप्र स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना' शुरू की है। यह परियोजना छह वर्षों में हवा की सेहत सुधारने के लिए बहु- ...और पढ़ें

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    शोभित श्रीवास्तव, लखनऊ। प्रदेश सरकार ने उप्र स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना (यूपीसीएएमपी) के तहत वर्ष 2031 तक हवा की सेहत सुधारने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है। विश्व बैंक के सहयोग से जनवरी में लागू होने जा रही इस परियोजना का लक्ष्य इंडो-गंगा के मैदानों में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों पर एक साथ प्रभावी नियंत्रण करना है।

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    परियोजना के तहत छह वर्षों में करीब 39 लाख परिवारों को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे ठोस ईंधन और परंपरागत चूल्हों से निकलने वाले धुएं में कमी आएगी।

    स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर में 15 हजार इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और 500 इलेक्ट्रिक बसें सड़कों पर उतारी जाएंगी, जबकि 13,500 प्रदूषणकारी भारी वाहनों के प्रतिस्थापन को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

    परियोजना पर छह वर्षों में करीब 5100 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें 2800 करोड़ रुपये विश्व बैंक से, 1200 करोड़ रुपये राज्यांश के रूप में और 1119 करोड़ रुपये कार्बन फाइनेंस के जरिए जुटाए जाएंगे। सरकार पहली बार अलग-अलग शहरों के बजाय एयरशेड मॉडल पर काम करेगी, जिसके तहत क्लीन कुकिंग, उद्योग, परिवहन, कृषि-पशुपालन, धूल और अपशिष्ट क्षेत्रों में एक साथ काम करेगी।

    प्रदेश में अभी भी डेढ़ से दो करोड़ परिवार ऐसे हैं जाे ठोस ईंधन और परंपरागत चूल्हों का इस्तेमाल करते हैं। परियोजना के प्रथम चरण में 39 लाख परिवारों को स्वच्छ ईंधन से जोड़ा जाएगा। इनमें 35 लाख परिवारों को कम धुआं छोड़ने वाले उन्नत चूल्हे, 2.50 लाख परिवारों को बायोगैस यूनिट, 1.50 लाख परिवारों को इंडक्शन चूल्हे और 20 हजार परिवारों को सूर्य नूतन व सोलर इंडक्शन कुकटाप उपलब्ध कराए जाएंगे।

    औद्योगिक क्षेत्रों को क्लस्टर में बांटकर स्वच्छ वायु प्रबंधन योजनाएं तैयार की जाएंगी। ईंट निर्माण में टनल भट्टों को अपनाने और मिनी बायलरों के स्थान पर साझा बायलर सुविधाओं की दिशा में नीति निर्माण व व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा।

    कृषि और पशुधन प्रबंधन में पोषक तत्व उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन निगरानी प्रणालियां, कृषि विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण तथा खाद आधारित उर्वरकों और बायोगैस स्लरी के मानकीकृत उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।

    500 ई-बसों में लखनऊ व कानपुर को 150-150 व गोरखपुर व वाराणसी को 100 बसें दी जाएंगी। इसके साथ ही लखनऊ में दो, कानपुर, गोरखपुर व वाराणसी में एक-एक चार्जिंग डिपो की स्थापना की जाएगी।

    परियोजना में यह होगा खास

    • सात क्रिटिकल औद्योगिक क्लस्टरों के लिए एयर एक्शन प्लान लागू करवाना
    • 20 टनल भट्ठों और 760 जिगजैग आधारित ईंट भट्ठों की स्थापना
    • 1000 औद्योगिक इकाइयों में आनलाइन वायु प्रदूषण निगरानी केंद्र के लिए प्रोत्साहन

    193 वायु गुणवत्ता मापने के केंद्र होंगे स्थापित

    प्रदेश में 193 वायु गुणवत्ता मापने के केंद्र भी स्थापित होंगे। सुपर कंप्यूटर की सुविधाओं से युक्त डाटा सेंटर बनाया जाएगा। प्रदूषण स्रोतों की निगरानी के लिए वेब पोर्टल का विकास होगा। इसके जरिए भविष्य में वायु प्रदूषण को लेकर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का विकास किया जाएगा। अभी 26 शहरों के 73 स्थानों पर वायु गुणवत्ता की जांच के लिए मानीटरिंग स्टेशन बने हैं।