UP Cabinet Approval : लिखित परीक्षा और साक्षात्कार से होगी असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती, प्रक्रिया पारदर्शी बनाने की मुहिम
Yogi Adityanath Cabinet Approval कैबिनेट की बैठक के बाद उच्च शिक्षा मंत्री डा. योगेन्द्र उपाध्याय ने मीडियो को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में योग्य मेधावी और प्रतिबद्ध शिक्षकों की नियुक्ति हो जिससे यहां के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए अब चयन के लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों को अनिवार्य कर दिया गया है। पहले यह नियुक्ति केवल साक्षात्कार के आधार पर होती थी, जिससे पारदर्शिता और मेरिट को लेकर सवाल उठते थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के दो प्रमुख प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। इसके तहत अब उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा (समूह-क) सेवा (तृतीय संशोधन) नियमावली-2025 के अंतर्गत नियुक्ति प्रक्रिया में लिखित परीक्षा (सब्जेक्टिव टाइप) को शामिल किया गया है।
कैबिनेट की बैठक के बाद उच्च शिक्षा मंत्री डा. योगेन्द्र उपाध्याय ने मीडियो को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में योग्य, मेधावी और प्रतिबद्ध शिक्षकों की नियुक्ति हो, जिससे यहां के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
अंकों के निर्धारण के लिए एक विशेष कमेटी बनाई जाएगी जो तय करेगी कि लिखित और इंटरव्यू के लिए कितने अंक निर्धारित किए जाएं। बैठक में प्रस्ताव दिया गया कि चयन प्रक्रिया में 70 प्रतिशत वेटेज लिखित परीक्षा को और 30 प्रतिशत साक्षात्कार को दिया जाए, लेकिन चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने साक्षात्कार के अंकों को और कम करने का सुझाव दिया।
संभावना है कि अब यह अनुपात 80:20 किया जाएगा। यानी 80 प्रतिशत अंक लिखित परीक्षा और 20 प्रतिशत अंक साक्षात्कार के आधार पर तय हो सकते हैं। हालांकि इसका निर्णय करने के लिए कमेटी गठित की जाएगी। चयन में लिखित परीक्षा को शामिल करने का मकसद चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करना है।
इसके साथ ही शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक ठोस व्यवस्था तैयार करना है। अब तक केवल इंटरव्यू से भर्ती होने के चलते कई बार योग्य उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिल पाता था और चयन प्रक्रिया पर भरोसा कम होता जा रहा था। लिखित परीक्षा के शामिल होने से विषय ज्ञान की जांच सुनिश्चित होगी और राज्य के शैक्षणिक माहौल में भी सुधार आएगा। प्रदेश में 171 राजकीय महाविद्यालय संचालित हैं, 49 नवनिर्मित राजकीय कालेज हैं। इन कालेजों में करीब 2346 शिक्षक कार्यरत हैं। चयन प्रक्रिया में बदलाव होने से आगे की नियुक्तियों में प्रतिभाशाली युवाओं को मौका मिलेगा।
उपाध्याय ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। राज्य के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शैक्षणिक सुधारों की दिशा में यह निर्णय एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल युवाओं को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को भी सुगमता से प्राप्त किया जा सकेगा।
प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों का विस्तार
उच्च शिक्षा में एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गाजियाबाद के मोदीनगर में डा. केएन मोदी विश्वविद्यालय की स्थापना को भी स्वीकृति दे दी गई। यह विश्वविद्यालय डा. केएन मोदी इंस्टीट्यूट आफ फार्मास्यूटिकल्स एजुकेशन एंड रिसर्च ट्रस्ट द्वारा ग्राम बिसोखर और बेगमाबाद बुदाना, तहसील मोदीनगर में करीब 20.45 एकड़ भूमि पर स्थापित किया जाएगा। विश्वविद्यालय को संचालन के लिए आवश्यक प्राधिकृति पत्र जारी किया जाएगा। अभी 47 निजी विश्वविद्यालय हैं, अभी कुछ समय पहले तीन निजी विश्वविद्यालयों को कैबिनेट की स्वीकृति मिली थी। ऐसे में वर्ष के अंत तक प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की संख्या 50 से अधिक हो सकती है।
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