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    उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में नहीं चला अखिलेश का PDA कार्ड, 2 पर सिमटी सपा, हाथ से फिसली 2 और सीटें

    Updated: Sat, 23 Nov 2024 07:30 PM (IST)

    यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सपा के हिस्से सिर्फ दो सीटें आई हैं। समाजवादी पार्टी का पीडीए (पिछड़ा दलित व अल्पसंख्यक) का फॉर्मूला कामयाब नहीं हो सका है। सपा ने पीडीए के फॉर्मूले व मुस्लिम वोट बैंक के मद्देनजर सर्वाधिक चार मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था जिसमें से सिर्फ सीसामऊ से नसीम सोलंकी जीत सकीं। बाकी करहल सीट से तेज प्रताप यादव जीते हैं।

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    यूपी उपचुनाव में अखिलेश का पीडीए कार्ड नहीं चल सका। (तस्वीर जागरण)

    मनोज त्रिपाठी, लखनऊ। प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी का ''पीडीए'' (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) का फॉर्मूला कामयाब नहीं हो सका है। ''पीडीए'' के बिखरने से उपचुनाव में सपा पिछले विधानसभा चुनाव में जीती कुंदरकी व कटेहरी की सीटों से भी हाथ धो बैठी है।

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    जिन नौ सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमें से सीसामऊ, कुंदरकी, करहल व कटेहरी की सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने जीत दर्ज की थी। उपचुनाव में सपा सीसामऊ व करहल की सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी है।

    उत्तर प्रदेश में उपचुनाव को लेकर इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ''बटेंगे तो कटेंगे'' बयान के बाद शुरू हुई जुबानी जंग के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ''जुड़ेंगे तो जीतेंगे'' का नारा देकर चुनाव को रोचक बना दिया था।

    डिंपल ने भी जनसभाएं की, लेकिन काम नहीं आया

    उपचुनाव के दौरान अखिलेश यादव व उनकी पत्नी डिंपल यादव ने भी लगभग सीटों पर रोड शो व जनसभाएं करके चुनाव प्रचार किया, लेकिन उसका असर चुनाव परिणाम पर नहीं दिखाई दिया। उपचुनाव के परिणाम ने लोकसभा चुनाव में हुई सपा की जीत का स्वाद भी फीका कर दिया है।

    सपा सिर्फ दो सीटों पर ही जीत सकी

    सपा ने पीडीए के फॉर्मूले व मुस्लिम वोट बैंक के मद्देनजर सर्वाधिक चार मुस्लिम उम्मीदवारों, कुंदरकी से मोहम्मद रिजवान, फूलपुुर से मुस्तफा सिद्दीकी, सीसामऊ से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी व मीरापुर से सुम्बुल राणा को चुनावी मैदान में उतारा था। इनमें से सीसामऊ से नसीम सोलंकी ही चुनाव जीत पाई हैं, जबकि तीन को हार का सामना करना पड़ा है।

    सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाली सीट कुंदरकी में भाजपा को छोड़कर अन्य दलों ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। इसका लाभ भाजपा के रामवीर सिंह ठाकुर को मिला। मुस्लिम वोट बैंक बंट गया और तुर्क मुसलमानों ने भाजपा का साथ दिया। इसके चलते कुंदरकी में 31 वर्षों बाद भाजपा को जीत नसीब हो सकी है।

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    कटेहरी सीट पर भाजपा ने सपा को हराया

    सपा को दूसरा बड़ा झटका कटेहरी की सीट पर लगा है। इस सीट से सपा ने सांसद लाल जी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन 25 हजार से अधिक मतों से भाजपा के धर्मराज निषाद ने उन्हें हरा दिया। वहीं, गाजियाबाद, खैर, फूलपुर, मझवां व मीरापुर की सीटों पर भी वंचित समाज के वोट बैंक के खिसकने की वजह से सपा के पीडीए का फॉर्मूला कामयाब नहीं हो सका है।

    करहल में सैफई परिवार की लड़ाई में तेज प्रताप ने मारी बाजी

    करहल में करीबी लड़ाई में अखिलेश के भतीजे व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के दमाद तेज प्रताप यादव ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर भाजपा ने अखिलेश के बहनोई अनुजेश यादव को उम्मीदवार बनाया था।

    रिश्तेदारों की लड़ाई को लेकर इस सीट पर सभी की नजरें थीं। नजदीकी लड़ाई में 14,725 मतों से जीत दर्ज कर तेज प्रताप ने एक बार फिर करहल में साइकिल दौड़ा दी है। उन्हें 1,04,304 व अनुजेश को 89,579 मत मिले हैं। पिछले चुनाव में अखिलेश यादव ने भाजपा के एसपी सिंह बघेल को हराकर इस सीट से चुनाव जीता था। 2002 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के सोवरन सिंह जीते थे, लेकिन वह भी बाद में सपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद से भाजपा इस सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई है।

    हार के बाद बोले अखिलेश अब शुरू हुआ है असली संघर्ष

    उपचुनाव में सात सीटें हारने के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म ''एक्स'' पर लिखा है कि अब तो असली संघर्ष शुरू हुआ है। उन्होंने लिखा है कि ''इलेक्शन को करप्शन'' का पर्याय बनाने वालों के हथकंडे तस्वीरों में कैद होकर दुनिया के सामने उजागर हो चुके हैं। देश व प्रदेश ने इस उपचुनाव में चुनावी राजनीति का सबसे विकृत रूप देखा। असत्य का समय हो सकता है, लेकिन युग नहीं। ''बांधो मुट्ठी तानो मुट्ठी'' और ''पीडीए'' का करो उद्घोष ''जुड़ेंगे तो जीतेंगे''।

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