सभापति ने नेता प्रतिपक्ष को सदन से बाहर निकाला, 45 मिनट बाधित रही यूपी विधान परिषद की कार्यवाही
लखनऊ विधान परिषद में वित्तविहीन विद्यालयों की मान्यता नियमावली पर हंगामा हुआ। सभापति ने नेता प्रतिपक्ष को सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया, जिसके बाद ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। वित्तविहीन विद्यालयों की मान्यता नियमावली के मुद्दे पर भी विधान परिषद में हंगामा हुआ। सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव को सदन का त्याग करने (बाहर जाने) के निर्देश दिए। निर्देश के पालन के बजाय नेता प्रतिपक्ष बहिर्गमन कर गए। इस पर सत्ता पक्ष ने इसे नियमों के उल्लंघन बताते हुए कार्रवाई की मांग की। बाद में वापस आने पर नेता प्रतिपक्ष को पीठ ने निर्देश का पालन करने के लिए कहा। काफी देर बाद नेता प्रतिपक्ष बाहर गए और वापस आकर खेद जताया। इस दौरान करीब 40 मिनट तक सदन की कार्रवाई बाधित रही।
सदस्य आकाश अग्रवाल और राजबहादुर चंदेल ने मान्यता नियमावली का मुद्दा उठाया था। इस पर नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने भी नियमावली पर प्रश्न उठाए। इस पर सभापति ने उनको बैठने के लिए कहा तो नेता प्रतिपक्ष प्रश्न पर अड़ गए। कहा कि उनको पूरक प्रश्न करने का अधिकार है। इस बीच विपक्ष और सत्ता पक्ष के लोग खड़े हो गए और हंगामा शुरू हो गया।
सभापति ने नेता प्रतिपक्ष को सदन से बाहर जाने को कहा। नेता प्रतिपक्ष ने सभापति पर आरोप लगाते हुए कहा कि आप बोलने नहीं दे रहे, लोकतंत्र की हत्या करना चाहते हैं। इस पर सत्ता पक्ष की ओर से आपत्ति जताई गई। सभापति ने कहा कि अगर सदन का त्याग नहीं करेंगे तो पीठ को अपनी बात मनवाने के और भी तरीके हैं। शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने माफी मांगी, लेकिन सभापति ने कहा कि यह बार-बार की समस्या हो रही है। इसी दौरान नेता प्रतिपक्ष अन्य सपा सदस्यों के साथ बहिर्गमन की बात कहकर बाहर निकल गए।
राज बहादुर सिंह चंदेल ने कहा कि अगर नेता विरोधी दल खेद व्यक्त कर दें तो इसे यहीं पर खत्म कर देना चाहिए। थोड़ी देर बाद नेता प्रतिपक्ष दोबारा सदन में आए तो उनके साथी सदस्यों ने भी पीठ के निर्देश के पालन का अनुरोध किया। नेता सदन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि किसी भी सदन में पीठ सर्वोपरि होती है।
पीठ ने निर्देश दिया है तो उसका पालन करना चाहिए। उसके बाद जो कहना है, वह कह सकते हैं। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष बाहर गए और वापस आकर कहा कि जो जिस पद पर है, वह अपने संवैधानिक अधिकारों के अनुसार कार्य करे। अगर मेरी किसी बात से कोई कष्ट पहुंचा हो तो मैं खेद प्रकट करता हूं।
फरवरी में भी सदन से बाहर किए गए थे नेता प्रतिपक्ष
नेता प्रतिपक्ष को सदन से बाहर करने का यह पहला मामला नहीं था। इससे पूर्व फरवरी में बजट सत्र के दौरान पीठ ने उनको सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया था। तब उनको मार्शल की मदद से बाहर निकाला गया था।
विधान परिषद में पास हुए विधेयक
भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही को आधा-आधा घंटे के लिए तीन बार बढ़ाया गया। इसके बाद भोजनावकाश से पहले सदन के समक्ष रखे गए उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (पंचम संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश पेंशन की हकदारी तथा विधिमान्यकरण विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश गन्ना उपकर (निरसन) विधेयक 2025, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान (संशोधन) विधेयक 2025, उत्तर प्रदेश विनियोग (2025-2026 का अनुपूरक) विधेयक 2025 ध्वनिमत के साथ पारित किए गए। नेता प्रतिपक्ष ने अनुपूरक बजट पर चर्चा की मांग की, जिसे अस्वीकार करते हुए सभापति ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

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