यूपी में योजनाओं का 42.61 प्रतिशत बजट ही खर्च कर पाया कृषि विभाग, 6 हजार करोड़ रुपये का है प्रविधान
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में योजनाओं के लिए आवंटित बजट का केवल 42.61 प्रतिशत ही खर्च किया है। कुल 6885.01 करोड़ रुपये के प्रविधान ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सरकार तो विकास को रफ्तार देने के लिए बजट के शतप्रतिशत उपयोग पर जोर दे रही है, लेकिन विभागों की सुस्ती से यह हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
कृषि विभाग साढ़े आठ माह में योजनाओं के लिए मिले बजट में से केवल 42.61 प्रतिशत ही खर्च कर पाया है। इनमें भी कई महत्वपूर्ण योजनाओं में एक रुपया भी खर्च नहीं किया जा सका है। अब वित्तीय वर्ष 2025-26 खर्च होने में केवल तीन माह ही शेष हैं, ऐसे में विभाग तेजी से योजनाओं पर काम करने की कोशिश में जुटा है।
चालू वित्तीय वर्ष में कृषि विभाग के लिए कुल 8848.56 करोड़ रुपये का बजट प्रविधान किया गया था, इसमें 6885.01 करोड़ रुपये योजनाओं के लिए निर्धारित हैं। विभाग इसके मुकाबले स्वीकृति और खर्च, दोनों मामलों में धीमी गति से चल रहा है।
14 दिसंबर तक विभाग ने योजनाओं के लिए प्रविधानित बजट में से 3866.70 करोड़ रुपये (बजट का 56.16 प्रतिशत) की ही स्वीकृतियां जारी कीं। इसमें से 2933.93 करोड़ रुपये ही व्यय किए जा सके थे।
विभाग की प्रमुख योजनाओं की बात करें तो बजट खर्च की गति ज्यादा धीमी है। इनमें सीड पार्क स्थापना के लिए 251.25 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था, परंतु 14 दिसंबर तक तक एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ।
पीएम कुसुम योजना के लिए किए गए 509.43 करोड़ रुपये के प्रविधान के मुकाबले शून्य खर्च किया जा सका था। इनके अलावा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) में प्रविधानित 437.05 करोड़ रुपये में से 32.86 प्रतिशत, प्रामाणिक बीजों पर अनुदान के लिए प्रविधानित 100 करोड़ रुपये में से 15.76 प्रतिशत, नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन में 244.32 करोड़ रुपये में से 12.89 प्रतिशत, कृषि क्षेत्र के क्षमता एवं कौशल विकास तथा उत्पादन वृद्धि की योजना के लिए 200 करोड़ रुपये के सापेक्ष केवल 1.08 प्रतिशत राशि ही खर्च हुई थी।
इस संबंध में निदेशक कृषि डा. पंकज त्रिपाठी ने बताया कि विभाग द्वारा बजट का पूरा सदुपयोग किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 60 प्रतिशत तक खर्च पहुंच गया है। सभी योजनाओं पर तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।

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