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    यूपी में मांग से 700 करोड़ रुपये ज्यादा की कफ सिरप बिकी, जांच के दौरान 52 जिलों में 161 फर्मों पर FIR दर्ज

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 08:49 AM (IST)

    खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध आपूर्ति का बड़ा नेटवर्क उजागर किया है। जांच में चिकित्सीय मांग से 700 करोड़ रुपये ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। कोडीनयुक्त कप सिरप की अवैध आपूर्ति का बड़ा नेटवर्क सामने आया है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की ओर से कोडीनयुक्त कफ सिरप एवं एनडीपीएस श्रेणी की औषधियों के अवैध को भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण तथा अवैध डायवर्जन को लेकर अभियान चलाया गया तो पता चला कि चिकित्सीय मांग से कई गुणा यानी 700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सिरप बेचा गया है।

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    विभाग ने झारखंड, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड तक फैले नेटवर्क का यूपी के सुपर स्टाकिस्ट और होलसेलर के साथ कारोबारी रिश्तों के सबूत जुटाए, जिसके बाद सिरप की अवैध आपूर्ति की परतें खुलीं। सिरप का नशे के रूप में इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ एनडीपीएस और बीएनएस के तहत मुकदमे दर्ज किये गये।

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाने को सही ठहराते हुए 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने पिछले तीन माह में 52 जिलों में 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच की।

    36 जनपदों की कुल 161 फर्मों व संचालकों के विरुद्ध बीएनएस तथा एनडीपीएस एक्ट की धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई। जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया। एफएसडीए आयुक्त ने जनपद स्तर पर कई टीमें बनाईं।

    टीम ने केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर, मध्य प्रदेश से कोडीन फास्फेट का कोटा एवं उठान के विवरण का एकत्रित किया। सिरप निर्माता फर्मों की जांच के लिए हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड पहुंची टीमों ने अभिलेख जुटाए। सिरप के क्रय-विक्रय अभिलेख के लिए रांची, दिल्ली और लखनऊ का रुख किया।

    अधिकांश होलसेल के पास स्टाक पहुंचने का सत्यापन नहीं मिला। रिटेल मेडिकल स्टोर के नाम पर कोई भी विक्रय बिल नहीं मिला जबकि दिल्ली, रांची के सुपर स्टाकिस्ट और इनसे जुड़े कुछ चिन्हित होल सेलर के नाम पर बिलिंग करके सिरप के साथ एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं की एक सामानान्तर वितरण श्रृखंला बनायी गयी।

    पूरी चेन को कनेक्ट करने पर चिकित्सीय मांग से ज्यादा सिरप की मांग के प्रमाण मिले। वर्ष 2024-25 में कफ सिरप की आपूर्ति चिकित्सीय आवश्यकता से कई गुणा मिली। कई फर्में विक्रय बिल प्रस्तुत करने में असफल रहीं, जबकि कुछ फर्मों द्वारा केवल कागजी अभिलेखों में सिरप का क्रय-विक्रय दर्शाया गया।

    प्रस्तुत विक्रय विवरणों में भी किसी भी फुटकर औषधि प्रतिष्ठान को कोडीनयुक्त कफ सिरप की वास्तविक आपूर्ति का सत्यापन नहीं हो सका। जांच में ऐबोट हेल्थ केयर द्वारा निर्मित फेन्सिडिल की 2.23 करोड़ से अधिक बोतलें, लैबोरेट फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित एस्काफ की 73 लाख से अधिक बोतलें तथा अन्य कंपनियों द्वारा निर्मित लगभग 25 लाख बोतलों की आपूर्ति दर्ज मिली, जिनका चिकित्सीय उपयोग प्रमाणित नहीं हो सका।

    पुलिस और एसटीएफ ने कुल 85 अभियुक्तों को अरेस्ट किया। अब थोक औषधि विक्रय लाइसेंसिंग प्रणाली को सख्त व पारदर्शी बनाने के लिए प्रतिष्ठान की जीओ टैगिंग, भंडारण क्षमता की पुष्टि और इनकी फोटोग्राफ कराने का प्रस्ताव भेजा गया है।