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    UP News: यूपी में 207 करोड़ की लागत से सुधरेंगी 563 सड़कें, चेक कीजिए आपके जिले का नाम है या नहीं

    Updated: Wed, 19 Mar 2025 01:50 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के 563 सड़कों की विशेष मरम्मत पर 207.88 करोड़ रुपये खर्च होंगे। शासन ने लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 124.12 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। कार्ययोजना में देरी के कारण मरम्मत अगले वित्तीय वर्ष में होगी। कई जिलों की सड़कों को चिह्नित किया गया है जिनमें लखनऊ प्रयागराज कानपुर आगरा बरेली गोंडा मथुरा और झांसी शामिल हैं।

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    यूपी में 207 करोड़ की लागत से सुधरेंगी 563 सड़कें - प्रतीकात्मक तस्वीर।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विभिन्न जिलों की 563 सड़कों की विशेष मरम्मत पर 207.88 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस संदर्भ में लोक निर्माण विभाग की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही 124.12 करोड़ रुपये की राशि भी जारी कर दी है।

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    हालांकि कार्ययोजना में देरी के चलते अब इन सड़कों को अगले वित्तीय वर्ष में ही दुरुस्त किया जा सकेगा। लोक निर्माण विभाग चालू वित्तीय वर्ष की कार्ययोजना देरी से तैयार कर सका था। विभागीय मंत्री होने के कारण मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने पहली बार जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लेकर कार्ययोजना तैयार की है।

    नतीजतन मई-जून में तैयार होने वाली कार्ययोजना नवंबर में तैयार की जा सकी थी। इसका असर अब सड़कों के निर्माण व विशेष मरम्मत के कार्यों पर पड़ रहा है। लोक निर्माण विभाग ने सड़कों के निर्माण संबंधी प्रस्तावों को स्वीकृति मिलने में हुई देरी के कारण पहले ही स्वीकृति की प्रत्याशा में टेंडर आमंत्रित किए थे।

    ठेकेदारों के विरोध के बाद इनमें से तमाम टेंडरों रद्द कर दिया था। चालू वित्तीय वर्ष के लिए लोक निर्माण विभाग का बजट 34,401 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। अभी तक करीब 78 प्रतिशत कार्यों को ही स्वीकृति मिल पाई है, जबकि विभिन्न कार्यों पर करीब 60 प्रतिशत राशि ही खर्च की जा सकी है।

    नतीजतन अब जिन कार्यों की स्वीकृति मिल रही है उन पर भी अगले वित्तीय वर्ष में काम शुरू हो पाएगा। उम्मीद की जा रही है इस बार लोक निर्माण को बजट का बड़ा हिस्सा सरेंडर करना पड़ेगा।

    इन जिलों की सड़कों की होगी विशेष मरम्मत

    विशेष मरम्मत के लिए जिन जिलों की सड़कों को चिह्नित किया गया है उनमें आगरा, आजमगढ़, बलिया, मऊ, बांदा, बरेली, पीलीभीत, शहजहांपुर, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, बहराइच, गोंडा, भदोही, मुरादाबाद, फतेहपुर, बदायूं, बाराबंकी, अयोध्या, प्रतापगढ़, चित्रकूट, गाजीपुर, जौनपुर, हरदोई, मीरजापुर, बस्ती, चंदौली, मुजफ्फरनगर, उरई, लखीमपुर खीरी, उन्नाव, रायबरेली, प्रयागराज, हापुड़, लखनऊ, बाराबंकी, सुलतानपुर, झांसी, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बिजनौर, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात, कानपुर नगर व बलरामपुर के नाम शामिल हैं।

    अपने संसाधन से आय कमाने में पिछड़ी हैं उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतें

    उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतें जहां संसाधनों के अभाव से जूझ रही हैं, वहीं वह अपने संसाधन से आय कमाने में भी बहुत पीछे हैं। पंचायती राज मंत्रालय ने प्रदेश की स्थिति को लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी के अध्ययन के बाद आय बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए हैं। अध्ययन में पता चला है कि पंचायतों में मानव संसाधन की कमी है। एक सचिव कई ग्राम पंचायतों का काम देख रहे हैं। इस कारण सर्विस डिलीवरी में कमी आ रही है। 

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