2025 में 'निरोगी उत्तर प्रदेश' के संकल्प को मिली नई उड़ान, गांवों में पहुंची हेल्थ सुविधाएं
वर्ष 2025 में उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं में अभूतपूर्व प्रगति की है। 83 नई इकाइयों, आईसीयू बेड और ऑक्स ...और पढ़ें

डिजिटल टीम, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लिए विदा होता वर्ष 2025 केवल कैलेंडर का एक पन्ना नहीं, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के कायाकल्प का अध्याय साबित हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'अंत्योदय' संकल्प को आगे बढ़ाते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इस वर्ष चिकित्सा सेवाओं को गांव-गली तक सुलभ, सस्ता और अत्याधुनिक बनाने में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। बुनियादी ढांचे के विस्तार से लेकर डिजिटल हेल्थ केयर तक, यूपी ने इस साल कई ऐसे मानक स्थापित किए हैं, जिसने 'ब्रांड यूपी' को स्वास्थ्य क्षेत्र में भी नई पहचान दी है।
इंफ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व वृद्धि: 83 नई इकाइयों की सौगात
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित कुमार घोष के अनुसार, वर्ष 2025 में इमरजेंसी कोविड रिलीफ पैकेज (ECRP) के प्रभावी क्रियान्वयन से चिकित्सा ढांचे को अभूतपूर्व मजबूती मिली है।
लोकार्पण व शिलान्यास: प्रदेश को 83 नई स्वास्थ्य इकाइयों की सौगात मिली, जिसमें 26 आईपीएचएल लैब और 38 फील्ड अस्पताल शामिल हैं। सीतापुर में 200 बेड के जिला अस्पताल का शिलान्यास स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की दिशा में बड़ा कदम रहा।
क्रिटिकल केयर: गंभीर मरीजों के लिए जीवन रक्षक सुविधाओं में विस्तार करते हुए मेडिकल कॉलेजों में 1800 और जिला अस्पतालों में 1029 नए आईसीयू बेड स्थापित किए गए। साथ ही, 49 एलएमओ स्टोरेज टैंकों के जरिए ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य: सुरक्षित भविष्य की नींव
मिशन निदेशक एनएचएम डॉ पिंकी जोवल ने बताया कि योगी सरकार का विशेष फोकस 'मां और मासूम' की सुरक्षा पर रहा।
पीडियाट्रिक केयर: बच्चों के बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पतालों में 42 बेड वाली और मेडिकल कॉलेजों में 23 पीडियाट्रिक यूनिट्स का संचालन शुरू हुआ।
न्यूबॉर्न स्टेबलाइजेशन: नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम करने के लिए प्रदेशभर में 412 'न्यूबॉर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट्स' (NBSU) सक्रिय की गईं। इन प्रयासों का नतीजा है कि सरकारी अस्पतालों में बाह्य रोगी (OPD) सेवाओं में 27% और अंतः रोगी (IPD) सेवाओं में 32% से अधिक की भारी वृद्धि देखी गई।
डिजिटल हेल्थ और आयुष्मान: घर के पास इलाज
प्रदेश ने तकनीक के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं को जनता के द्वार तक पहुंचाया है।
टेलीमेडिसिन में डंका: 'ई-संजीवनी' पोर्टल के माध्यम से यूपी प्रतिदिन 75 हजार से अधिक कॉल्स के साथ देश में दूसरे स्थान पर रहा।
आयुष्मान भारत: साचीज की सीईओ अर्चना वर्मा के अनुसार, योजना में 318 नए अस्पतालों को जोड़ा गया, जिनमें कैंसर उपचार पर विशेष ध्यान दिया गया है। वर्ष के अंत तक अस्पतालों को ₹3,862 करोड़ का रिकॉर्ड भुगतान किया गया।
टीबी मुक्त यूपी: टीबी उन्मूलन में प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी धाक जमाई है। 7,191 पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित करना (424% की वृद्धि) एक बड़ी उपलब्धि रही।
इसके अतिरिक्त, 2,249 नई एंबुलेंस और सभी 75 जिलों में डायलिसिस सेवाओं की उपलब्धता ने यह सुनिश्चित किया है कि अब किसी भी उत्तर प्रदेश वासी को इलाज के लिए महानगरों की ओर भागने की मजबूरी न रहे।

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