SC के फैसले से 98 लाख शिक्षकों की नौकरी खतरे में, TET अनिवार्यता पर देशव्यापी 'आंदोलन' की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट के टेट अनिवार्य करने पर शिक्षकों की सेवा सुरक्षा को लेकर अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा बना है। शिक्षक संघ ने RTE संशोधन रद्द करने की मांग की है जिससे देशभर के शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित रहे। संघ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल करेगा। सरकार की ओर से ठोस कदम न उठाने पर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की चेतावनी दी गई है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) को अनिवार्य करने के फैसले के बाद शिक्षकों की सेवा सुरक्षा को लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा होने जा रहा है। इसी दिशा में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया है। इसके माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर सभी शिक्षक संगठनों को एक मंच पर लाकर सामूहिक संघर्ष करना है।
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय शिक्षक भवन में बैठक हुई। इसमें सर्वसम्मति से अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया और यह तय हुआ कि सभी संगठन मिलकर शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए सामूहिक लड़ाई लड़ेंगे।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने बताया कि बैठक में यह मांग उठी कि केंद्र सरकार 2017 में शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई ) में किए गए संशोधन को निरस्त करे, ताकि देशभर के शिक्षकों की सेवा सुरक्षित हो सके।
यह भी तय हुआ कि राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर के नेता देशभर के राज्यों का दौरा कर शिक्षकों को एकजुट करेंगे। इसके बाद आंदोलन को और तेज किया जाएगा। संघ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल किया गया है। पदाधिकारियों का कहना है कि टेट की अनिवार्यता से प्रदेश भर में एक लाख 86 हजार और देशभर के 98 लाख शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है।
पदाधिकारी अब तीन अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक पूरे देश में संगठन के जिलाध्यक्ष और मंत्री स्थानीय स्तर पर शिक्षकों के साथ जुटकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन स्थानीय सांसदों को सौंपेंगे। यदि केंद्र सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली के जंतर-मंतर पर शिक्षक विशाल प्रदर्शन करेंगे।
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