यूपी में 105 प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, आप सांसद संजय सिंह ने दाखिल की थी याचिका
आप सांसद संजय सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश के 105 प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत अधिकारों को लागू करने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर नहीं की जा सकती। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।

नई दिल्ली, आईएएनएस। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार के 105 सरकारी प्राथमिक स्कूलों के विलय के निर्णय के खिलाफ याचिका दाखिल की थी, जिसपर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता और ए.जी. मसीह की पीठ ने सोमवार को कहा, ''क्या आप शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत अधिकारों को लागू करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं? यदि यह एक वैधानिक अधिकार है, तो इसे अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका के रूप में नहीं छिपाया जा सकता है! इस मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट को तय करने दें।''
जैसे ही जस्टिस दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीधे शीर्ष अदालत में दायर रिट याचिका पर सुनवाई करने में अनिच्छा दिखाई संजय सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, ताकि वे इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख कर सकें। अंतत: मामले को वापस लिया गया।
संजय सिंह की याचिका में कहा गया कि 16 जून को सरकारी आदेश के तहत 105 सरकारी प्राथमिक स्कूलों का विलय और 24 जून को जारी सूची ''मनमाना, असंवैधानिक और कानूनी रूप से अस्वीकार्य'' है। याचिका के अनुसार कम नामांकन वाले स्कूलों का अन्य संस्थानों में विलय करने से बच्चों को बिना किसी परिवहन या वैकल्पिक सुविधाओं के लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
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