उत्तर प्रदेश में गन्ने के दाम जस के तस, कैबिनेट बाई सर्कुलेशन में प्रस्ताव पर नहीं लग पाई मुहर… क्या है बड़ी वजह?
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि किसानों को पिछले वर्ष के बराबर ही गन्ना मूल्य मिलेगा जो 370 रुपये प्रति क्विंटल है। यह निर्णय कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये लिया गया है। गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने बताया कि गन्ने के एसएपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश सरकार इस बार गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाएगी। किसानों को पिछले वर्ष के बराबर ही गन्ना मूल्य मिलेगा। कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये सरकार ने गन्ना मूल्य यथावत रखने का निर्णय किया है।
पेराई सत्र 2024-25 में गन्ने का राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) 370 रुपये प्रति क्विंटल ही रहेगा। राज्यपाल के अभिभाषण को भी कैबिनेट बाई सर्कुलेशन स्वीकृति दी गई है।
कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये कुल 10 प्रस्ताव
सोमवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये कुल 10 प्रस्ताव पास हुए। इनमें सबसे प्रमुख गन्ना मूल्य का प्रस्ताव था। सरकार ने इसे पिछले वर्ष की तरह यथावत रखने का निर्णय लिया है।
पेराई सत्र 2022-23 में गन्ने की अगैती प्रजातियों के लिए 350, सामान्य प्रजाति के लिए 340 और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 335 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य निर्धारित किया गया था।
इसके बाद पिछले लोकसभा चुनाव से पहले पेराई सत्र 2023-24 में गन्ने की अगैती प्रजातियों के लिए मूल्य को 20 रुपये बढ़ाकर 370 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था।
वहीं, सामान्य प्रजाति के लिए 360 रुपये प्रति क्विंटल और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 355 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य तय किया था। इस बार सरकार ने मूल्य को यथावत रखा गया है।
गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने बताया कि प्रदेश की सभी चीनी मिलों की ओर से खरीदे जाने वाले गन्ने का एसएपी 370 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
चुनाव से पहले सरकार बढ़ा सकती है दाम
हालांकि, माना जा रहा है कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार अगले वर्ष गन्ना मूल्य में वृद्धि कर सकती है। गन्ना किसानों की ओर से काफी समय से मूल्य बढ़ाने की मांग की जा रही थी।
दूसरी तरफ, यूपी शुगर मिल एसोसिएशन मूल्य न बढ़ाने की मांग कर रही थी। एसोसिएशन का कहना था कि गन्ने में इस बार रिकवरी भी कम है। लागत बढ़ने पर भुगतान में दिक्कत आएगी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है।
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