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    बैंकों में हड़ताल से एक हजार करोड़ का लेन-देन ठप

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Thu, 27 Dec 2018 08:53 AM (IST)

    नीतियों का विरोध : राजधानी में राष्ट्रीयकृत बैंकों की 734 शाखाओं के 10,500 कर्मचारी हड़ताल में हुए शामिल। कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर लगाया उपेक्षा का आरोप।

    बैंकों में हड़ताल से एक हजार करोड़ का लेन-देन ठप

    लखनऊ, जेएनएन। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) की ओर से देशव्यापी हड़ताल के चलते बुधवार को सभी सरकारी बैंकों में ताले पड़े रहे। इस दौरान कर्मचारियों ने बैंक मुख्यालय और मुख्य शाखा पर प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की तथा रोष जाहिर किया।

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    भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, सिंडीकेट बैंक, यूनाइटेड बैंक, यूनियन, इंडियन ओवरसीज बैंक, इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक, विजया बैंक समेत सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों की राजधानी स्थित करीब 734 शाखाओं के 10,500 कर्मचारी व अधिकारी हड़ताल पर रहे। बंदी के चलते बैंक संबंधी कामकाज पूरी तरह ठप रहा। यूएफबीयू के मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि हड़ताल से राजधानी में करीब एक हजार करोड़ का लेन-देन प्रभावित रहा।

    बैंक संगठनों ने सरकार पर साधा निशाना

    हड़ताल में राष्ट्रीयकृत बैंकों के एआइबीईए, एआइबीओसी, एनसीबीई, एआइबीओए, बीईएफई, आइएनबीईएफ, आइएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू समेत सभी नौ संगठन शामिल रहे। संगठनों ने पहले हजरतगंज स्थित भारतीय स्टेट बैंक मुख्यालय फिर इलाहाबाद बैंक कार्यालय पर एकत्र होकर केंद्र सरकार व आइबीए के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किया। इस दौरान नेशनल कंफेडरेशन ऑफ बैंक इंप्लाइज (एनसीबीई) के महामंत्री केके सिंह ने कहा कि बैंकों पर एनपीए के बढ़ते बोझ पर सरकार ने आंखें बंद कर रखी हैं। सरकार बड़े डिफाल्टरों के नाम भी सार्वजनिक नहीं कर रही है। इसका सीधा खामियाजा आमजन और बैंक कर्मियों को उठाना पड़ रहा है।

    सरकार द्वारा अपनी हर योजना का क्रियान्वयन बैंकों द्वारा कराया जा रहा है, जबकि बैंककर्मियों की वेतन वृद्धि की दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा किलंबे समय से बैंक कर्मियों की मांगें पूरी नहीं की जा रही हैं। मांगें न मानी गईं तो जल्द ही उग्र आंदोलन होगा। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआइबीओसी) के महासचिव दिलीप चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बैंककर्मियों पर अनैतिक दबाव बनाया जाता है। बैंककर्मियों से सर्वाधिक  कार्य कराने के बावजूद उन्हें न्यूनतम वेतन श्रेणी में रखा गया है। इस दौरान मुख्य रूप से एनसीबीइ के अध्यक्ष अखिलेश मोहन, वाईके अरोड़ा, एआइबीईए के वीके सिंह, एसके संतानी, एसडी मिश्र, विनय सक्सेना, राजेश श्रीवास्तव, सौरभ श्रीवास्तव, मुकेश मेहरोत्रा समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

    मुख्य मांगें

    • खराब लोन की वसूली के लिए कठोर उपाय किए जाएं
    • सभी वर्ग के पदों पर कर्मचारियों की भर्ती की जाए
    • बैंक कर्मियों पर सरकार द्वारा अनैतिक दबाव न बनाया जाए
    • केंद्र सरकार बैंकों के समायोजन के निर्णय को वापस ले

    ग्राहकों को उठानी पड़ी परेशानी

    हड़ताल से बैंक ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। डिमांड ड्राफ्ट, चेकों की क्लीयरिंग, जमा व निकासी न होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।