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'दंगाइयों ने मेरे सामने पति को पीट-पीटकर मार डाला' : 1984 का सिख दंगा

सज्जन कुमार को सजा मिलने से लखनऊ में 84 के दंगा पीडि़तों के भी हरे हुए जख्म। डेढ़ हजार से अधिक परिवार बने थे दंगों का शिकार, 161 को ही मुआवजा मिला।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 09:51 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 01:20 AM (IST)
'दंगाइयों ने मेरे सामने पति को पीट-पीटकर मार डाला' : 1984 का सिख दंगा
'दंगाइयों ने मेरे सामने पति को पीट-पीटकर मार डाला' : 1984 का सिख दंगा

लखनऊ, जेएनएन। जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर खड़ीं कमला की आंखों में आज भी उस दिन की खौफनाक यादें कैद हैं। बेकाबू भीड़ ने उनके घर पर हमला बोल दिया था। जो मिला उसे पीटा। छोटे-छोटे बच्चों को भी नहीं बख्शा। पति को इतना पीटा कि उनकी मौत हो गई। उनका कहना है कि मैं चीखी-चिल्लाई पर भीड़ ने रहम नहीं की। मेरे पति को तब तक पीटा, जब तक उनकी मौत नहीं हो गई। सारी सपंत्ति भी लूट ले गए।

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दिल्ली में 1984 के सिख दंगों के लिए पूर्व सासंद सज्जन कुमार को सोमवार को उम्रकैद की सजा के एलान के साथ ही लखनऊ में भी पीडि़तों के जख्म हरे हो गए। आलमबाग की बरहा रेलवे कॉलोनी निवासी कमला के पति सर्वेंद सिंह रेलवे में कर्मचारी थे। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भीड़ का कहर उनके परिवार भी टूट पड़ा। किसी तरह खुद को और बच्चों को बचाया। कमला के चार बच्चे हैं। किसी तरह पाल-पोसकर उन्हें बड़ा किया। अब तक न्याय नहीं मिला। मुआवजा तो दूर की बात। अब तो आस भी छोड़ दी है। सरकारी फाइलों की रेस बहुत लंबी है। सज्जन कुमार को सजा मिली सुनकर अच्छा लगा। कई हैं अभी। सबको सजा मिलनी चाहिए।

लूट लिया घर, मुआवजे में मिले चार सौ रुपये

दंगा पीडि़तों को मुआवजे के नाम पर भी खानापूर्ति की गई। सेक्टर सी महानगर निवासी गुरुबख्श सिंह का घर लूट लिया गया लेकिन सरकार ने उनको केवल चार सौ रुपये का चेक दिया। इसी तरह नाका निवासी चरनजीत सिंह की संपत्ति को आग लगा दी गई लेकिन सरकार ने केवल एक हजार रुपये के मुआवजे का आकलन किया। 

दंगा पीडि़तों की लड़ाई लड़ रहे सरदार कुलदीप सिंह का कहना है कि राजधानी में केवल 161 परिवारों को मुआवजे का मरहम लगाया गया। उसमें भी खानापूर्ति की गई। कुछ को तो मात्र चार-पांच सौ रुपये का ही मुआवजा दिया गया। हालांकि, करीब 15 सौ परिवारों ने आवेदन किया था। कुलदीप सिंह का कहना है कि सरकारों ने मदद के बजाय इतने कानून बना दिए कि  असल पीडि़तों को भी मदद नहीं मिल पाई है। उनकी लड़ाई अब तक जारी है। 

15 परिवारों को पांच-पांच लाख

प्रशासन ने राजधानी में रहने वाले 15 लोगों के परिवारों को अब तक पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया है। यह वे लोग थे, जो 1984 के दंगे में मारे गए थे।   


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