Smart Meter: स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया में होगा बदलाव? आयोग में दाखिल हुआ ये प्रस्ताव
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग से बिना अनुमति स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर रोक लगाने की मांग की है। परिषद का कहना है कि उपभोक्ताओं को मीटर चुनने का विकल्प मिलना चाहिए और नए कनेक्शन पर मुफ्त मीटर लगना चाहिए। उनका कहना है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि उन्हें प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर चुनने का मौका नहीं दिया जा रहा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल कर आयोग की अनुमति के बिना उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। बिना अनुमति स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने की जांच कराते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की करने के लिए लिखा है।
अवधेश वर्मा ने नियामक आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात कर लोक महत्व का प्रस्ताव दिया। जिसमें लिखा है कि विद्युत उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी देने के साथ ही प्रीपेड और पोस्ट पेड मीटर चुनने का विकल्प दिया जाए। लिखा है कि पावर कारपोरेशन को उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट मीटर लगाने से पूर्व नियामक आयोग की अनुमति लेनी चाहिए थी जो नहीं लिया गया है।
नये कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए 6,000 रुपये लिया जाना असंवैधानिक है। यह मीटर फ्री में लगनी चाहिए। भारत सरकार प्रति मीटर 1,350 रुपये अनुदान दे रही है। उपभोक्ताओं की अनुमति के बगैर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन करते हुए उन्हें प्रीपेड अथवा पोस्ट पेड मोड चुनने का मौका तक नहीं दिया जा रहा है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को प्रीपेड और पोस्टपेड मोड के मीटर को चुनने का अधिकार देता है।
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