'मोगली गर्ल' को अपनाने, समझाने, सिखाने और दुलराने के लिए बढ़े हाथ
बहराइच जिला अस्पताल में भर्ती मोगली गर्ल का हाल लेने प्रशासन, मनोविज्ञानी, जिम्मेदार और आमजन सामने आए हैं। रिइन्फोर्समेंट तकनीक से इसे इंसानी जिंदगी के करीब लाया जा सकता है।
बहराइच (जेएनएन)। ढाई माह से बहराइच जिला अस्पताल में भर्ती मोगली गर्ल का हालचाल लेने के लिए प्रशासन, मनोविज्ञानी, जिम्मेदार और आमजन सामने आने लगे हैं। उसे अपनाने के लिए लोगों ने हाथ बढ़ा दिए हैं। कुछ तो इस संवेदनशील मुद्दे को मुख्यमंत्री तक ले जाने की बात कर रहे हैं और मोगली गर्ल का बेहतर भविष्य हो इसके लिए कोशिश में जुट गए हैं। लावारिस हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराई गई बालिका की देखरेख व बेहतर भविष्य के लिए चारों ओर से आवाजें उठने लगी हैं। प्रशासनिक अमले से लेकर आमजन तक उसकी जिंदगी को लेकर चिंतित दिखने लगा है। जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में पुरुषों के साथ महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। महिलाएं जंगल की बिटिया को देखने के लिए लालायित रही हैं। बच्ची की परवरिश के लिए कई सामाजिक संस्थाएं भी आगे आ गई हैं। अब उसे राजधानी स्थित संस्था दृष्टि को सौंपा जाएगा। बहराइच सीएमएस डॉ. डीके सिंह ने बताया कि बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों ने बालिका को चाइल्ड लाइन के सिपुर्द करने के निर्देश दिए है।
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बेहतर भविष्य के लिए प्रयास होगा
सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा कहते हैं कि जंगल और जानवरों के बीच मिली बालिका की स्थिति से उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। दैनिक जागरण अखबार से उन्हें इसकी जानकारी मिली है। मामला बेहद ही संवेदनशील है। बालिका के बेहतर भविष्य को बनाने के लिए प्रयास किया जाएगा। इस मामले को वे सीएम से मिलकर बात करेंगे। मंत्री अनुपमा जायसवाल भी बालिका के बेहतर भविष्य को लेकर संवेदनशील दिखीं। वे कहती हैं कि जंगल और बंदरों के बीच पाई गई बालिका की कहानी की जानकारी हुई है। उसके बेहतर भविष्य के लिए शासन स्तर पर प्रयास किया जाएगा। वे कहती हैं कि बेटियां देवी तुल्य हैं। इसकी परवरिश और भविष्य के लिए मुख्यमंत्री से मिलकर बात की जाएगी।
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मोगली गर्ल का हालचाल जाना
बहराइच के नाजिरपुरा की बेगम हस्तशिल्प सेवा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष कुरैशा बेगम जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में पहुंचकर मोगली गर्ल का हालचाल लिया। सीएमएस डॉ.डीके सिंह से मिलकर बालिका के सहयोग की पहल की और कहा कि बालिका के स्वास्थ्य व शिक्षा का जिम्मा संस्था के लोग लेना चाहते हैं। यही नहीं बालिका पर होने वाले खर्च की जिम्मेदारी भी उन्होंने लेने को कहा। सुल्तानपुर दूरदर्शन में कार्यरत अभियंता भूपेश सिंह ने भी दैनिक जागरण कार्यालय में फोन कर बालिका के पालन-पोषण की बात कही। यही नहीं शहर के अलावा कई अन्य जिलों की सामाजिक संस्थाएं बच्ची की परवरिश को लेकर जिला अस्पताल प्रशासन से संपर्क साधने में जुट गया है। हालाकि मोगली गर्ल को बाल अधिकार समिति के आदेश पर लखनऊ की दृ्ष्टि संस्था को पालन-पोषण की जिम्मेदारी दी गई है। सीएमएस जिला अस्पताल बहराइच डॉ. डीके सिंह ने बताया कि अस्पताल में बालिका डॉक्टरों व अन्य लोगों को देखते ही चिल्ला उठती है। इस वजह से इलाज में चिकित्सकों व स्टाफ नर्सों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लड़की कब से जंगल में जानवरों के बीच थी यह कोई नहीं बता पा रहा है। लड़की का इलाज किया जा रहा है लेकिन उसकी भाषा जानवरों की तरह है, इसलिए इलाज में दिक्कतें आ रही है।
तस्वीरों में देखें-बहराइच जिला अस्पताल में मोगली की दिनचर्या
सिखाने में धैर्य की जरूरत होगी
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दलाल कहते हैं कि मोगली गर्ल के उपचार में धैर्य रखना होगा क्योंकि अभी तक जो वह सीख चुकी है उसे भुलाना आसान नहीं होगा। पहले तो धीरे-धीरे उसे इंसानों की तरह व्यवहार करना सिखाना होगा। इसके लिए उसे हम उम्र बच्चों के साथ रखना होगा। ध्यान रखना होगा कि वह बच्चों को या खुद को कोई नुकसान न पहुंचाए। सबसे पहले उसे कुछ बुनियादी बातें जैसे ब्रश करना, कपड़े पहनना, नहाना, खाना खाना, सफाई करना आदि सिखाना होगा लेकिन, ध्यान रहे कि इसमें वक्त लग सकता है। ध्यान देने की बात यह है कि उसे प्यार से सिखाना होगा।
इंसानी जिंदगी के करीब लाना कठिन नहीं
छत्तीसगढ़ में आस्था, शिक्षा, पब्लिक हेल्थ से जुड़े मसलों पर शोध कर चुकी मनोविज्ञानी डा. स्वाती मिश्र ने कहा कि सबसे पहले उसे दैनिक क्रियाकलाप सिखाने की जरूरत होगी। व्यवहार थिरेपी और अधिगम के जरिए इस बच्ची को इंसानी जिंदगी के काफी करीब लाया जा सकता है। यह बंदरों के बीच में रही है इसलिए इसके व्यवहार में परिर्वतन लाना कठिन नहीं होगा। समय जरूर लगेगा, इसके लिए धैर्य की जरूरत होगी। रिइंफोर्समेंट (पुनर्बलन) तकनीक इस बच्ची के लिए सबसे अच्छी रहेगी। मानव व्यवहार समझाने के लिए उसके सामने माडल प्रस्तुत करने होंगे। इसके बाद वह उसकी तरह व्यवहार करे और इसके लिए रिइन्फोर्सनेंट दिया जाना चाहिए।
बाल कल्याण समिति ने दिए आदेश
कतर्निया जंगल में बंदरों के बीच पली बच्ची आज बाल कल्याण समिति के समक्ष वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ केके वर्मा ने प्रस्तुत किया । समति ने बच्ची को चाइल्ड लाइन को सौपने का निर्देश दिया। आदेश की पुष्टि करते हुए चाइल्ड लाइन के समन्वक सतेन्द्र पांडेय ने बताया कि शनिवार को बालिका को लखनऊ में बताये गये संरक्षण ग्रह में ले जाया जयेगा। इस दौरान दो महिला आरक्षियों के साथ, चाइल्ड लाइन के सदस्य व चिकित्साकर्मी साथ रहेंगे।
चेतावनी के बाद जागा चाइल्ड लाइन
जंगल में जानवरों के बीच मिली मोगली गर्ल को लेकर गंभीर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ.राधेश्याम वर्मा ने बताया कि कल्याण समिति ने गुरूवार को भी चाइल्ड लाइन को पत्र लिखकर बच्ची को सिपुर्दगी में लेने के आदेश दिए गए थे, लेकिन उन्होंने उसे अस्वस्थ कह कर रिपोर्ट देने की बात कही। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को पंजीकृत डाक से सूचना दी गई थी। शुक्रवार को इस मामले में लापरवाही बरतने वाले चाइल्ड लाइन के जिम्मेदारों को जब कार्रवाई की चेतावनी दी गई गई तो उन्होनें बालिका को सिपुर्दगी में ले जाने की बात मानी।
अनावश्यक दबाव बनाने का आरोप
मोगली गर्ल के मामले में चाइल्ड लाइन के समन्वक सतेन्द्र पांडेय ने बताया बताया कि बाल कल्याण समिति के लोग चाइल्ड लाइन पर अनावश्यक रूप से दबाव बनाने का काम कर रहे थे। समिति सदस्य अस्पताल में भर्ती बालिका को जबरन संरक्षण में ले जाने का दबाव बनाते रहे लेकिन नियम कानून के तहत बालिका को ले जाने की बात कही गई थी।
बालिका के आयु की जांच
सीएमओ अरुणलाल ने कहा कि काफी लंबे समय से बालिका जंगल व जानवरों के बीच रही है, जिससे उसके हाव-भाव जंगली जानवरों जैसे हैं। बालिका शारीरिक रूप से स्वस्थ हो रही है लेकिन दिमागी रूप से अभी भी कमजोर है। बालिका का स्वास्थ्य व आयु की जांच की गई है। बालिका की उम्र करीब 11 वर्ष है। इस संबंध में डीएम से वार्ता हो रही है। बालिका के बेहतर भविष्य को लेकर स्वास्थ्य महकमा सजग है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग उनकी ओर से अनाप-शनाप बातें लिखकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
बालिका हो रही स्वस्थ
जिला अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.केके वर्मा ने बताया कि उनकी ओर से बालिका के नेपाली होने व मूकबधिर होने संबंधी कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। गुरुवार को वे बाहर थे। उन्होंने कहा कि बालिका का समय-समय पर चिकित्सकीय परीक्षण किया जा रहा है। बालिका के हाव-भाव में परिवर्तन के साथ सेहत में भी सुधार हो रहा है। वे बताते हैं कि बालिका को देखने से लगता है कि जंगल और जानवरों के बीच बालिका रही है।
बालिका की सुरक्षा को लेकर सतर्क
बालिका की सुरक्षा को लेकर एसपी डॉ.मनोज कुमार ने बताया कि जिला अस्पताल परिसर में तैनात पुलिस कर्मियों को भी उस पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि बालिका कहीं इधर-उधर न चली जाए। साथ ही इस संबंध में डीएम से भी वार्ता हो रही है। उसके बेहतर भविष्य को लेकर प्रशासनिक अमला भी गंभीर है।
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