सिजोफ्रेनिया एक ऐसी बीमारी जिसमें मरीज को होते हैं कई तरह के भ्रम, जानें- लक्षण और निदान
सिजोफ्रेनिया एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण आमतौर पर किशोरावस्था और 20 साल की उम्र में दिखाई देते हैं। हालांकि विशेषज्ञों का दावा है कि लगभग 60 प्रतिशत मरीजों को शुरुआती दौर में बीमारी पता चलने पर दो वर्ष तक दवाएं खानी पड़ती है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। नवजात के जन्म के बाद यदि प्रसूता को लगने लगे कि ब'चे की वजह से वह परेशानी में पड़ गई है, पति अब मुझ पर ध्यान नहीं देगा और वह बच्चे का खयाल न रख पाए तो यह पोस्टपार्टम सीजोफ्रेनिया के लक्षण हो सकते हैं। मनोचिकित्सक डा. शाश्वत सक्सेना ने कहा कि प्रसव के बाद महिलाओं में कई बार यह बीमारी हो सकती है। दवाओं से इसका सही इलाज संभव है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की ओर से सीजोफ्रेनिया दिवस पर रिवर बैंक कालोनी स्थित आइएमए भवन में जागरूकता कार्यक्रम किया गया। इसमें आइएमए सदस्य और मनोचिकित्सक डा. प्रांजल अग्रवाल ने कहा कि सीजोफ्रेनिया गंभीर मानसिक रोग है। हालांकि, समय पर इलाज से बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। लगभग 60 प्रतिशत मरीजों को शुरुआती दौर में बीमारी पता चलने पर दो वर्ष तक दवाएं खानी पड़ती है। देरी से पता चलने पर मरीज को उम्र भर दवा खानी पड़ सकती है।
डा. दीप्तांशु ने कहा कि कुछ मरीजों को भ्रम होता है। उन्हें लगता है कि दीवार के पीछे लोग मेरी बात कर रहे हैं। 70 से 80 फीसदी मरीजों को तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती हैं। ऐसे लक्षण नजर आने पर तुरंत इलाज शुरू कर देना चाहिए। कार्यक्रम में आइएमए लखनऊ के अध्यक्ष डा. मनीष टंडन और सचिव डा. संजय सक्सेना मौजूद रहे।
सिजोफ्रेनिया के लक्षणः इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर किशोरावस्था और 20 साल की उम्र में दिखाई देते हैं। दोस्तों और परिवार से खुद को अलग कर लेना, दोस्त या सोशल ग्रुप बदलते रहना,किसी चीज पर फोकस ना कर पाना, नींद की समस्या, चिड़चिड़ापन, पढ़ाई-लिखाई में समस्या होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।