संभल नहीं पहुंच सका सपा का प्रतिनिधिमंडल, नेता नजरबंद... अखिलेश ने बताया 'तानाशाही'; पढ़ें पूरा अपडेट
संभल हिंसा के बाद सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा की जानकारी लेने जा रहे सपा के प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने रोक लिया। माता प्रसाद पांडेय लाल बहादुर यादव और श्याम लाल पाल सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। इसके साथ ही इकरा हसन को दिल्ली लौटा दिया गया। अखिलेश यादव ने इसे तानाशाही करार दिया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। संभल हिंसा का 30 नवंबर को सातवां दिन रहा। यहां के जनजीवन पहले की तरह सामान्य तो हो रहे हैं, लेकिन सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा की घटना की जानकारी लेने के लिए शनिवार को सपा का एक प्रतिनिधिमंडल वहां जाने वाला था, लेकिन उन्हें रोक लिया गया।
पुलिस ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बहादुर यादव और सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल सहित सभी सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों को उनके घर से निकलने ही नहीं दिया।
1- माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर पुलिस बल तैनात की गई
शनिवार सुबह माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। उन्हीं के नेतृत्व में डेलिगेशन संभल जाने वाला था। पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया था। इसके इतर, कई सपा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में भी लिया।
2- सांसद इकरा हसन को पुलिस ने दिल्ली लौटा दिया
इसके अलावा हापुड़ शहर के पिलखुवा के छिजारसी टोल प्लाजा पर कैराना लोकसभा क्षेत्र से सपा (समाजावादी पार्टी) सांसद इकरा चौधरी ( Iqra Choudhary) को संभल जाते समय पुलिस ने रोककर वापस दिल्ली भेज दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सदन में संभल का मुद्दा जोर शोर से उठाया जाएगा।
3- कई नेताओं को पुलिस ने पहले ही कर दिया नजरबंद
वहीं, अन्य तीन सांसदों मुजफ्फर नगर के सांसद हरेंद्र मलिक, संभल के सांसद जिया उल वर्क तथा रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी को गाजियाबाद पुलिस (ghaziabad police) ने पहले ही रोक लिया था।
इसे भी पढ़ें- Sambhal Violance: सांसद इकरा हसन को संभल जाने से रोका, UP बॉर्डर पर पुलिस अलर्ट
4- मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये देगी सपा
इससे नाराज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में आपातकाल जैसी स्थिति है। सरकार संभल हिंसा का सच छिपाना चाहती है। वहीं, सपा ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये देने की घोषणा की है। साथ ही प्रदेश सरकार से 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग भी की है। ये जानकारी समाजवादी पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करके दी।
5- 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जाने वाला था संभल
बता दें कि सपा प्रमुख ने संभल हिंसा की रिपोर्ट लेने के लिए 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को शनिवार को वहां भेजने के निर्देश दिए थे। इस प्रतिनिधिमंडल में माता प्रसाद पांडेय, लाल बहादुर यादव और श्याम लाल पाल के अलावा सांसद हरेन्द्र मलिक, रूचि वीरा, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क, नीरज मौर्य, विधायक कमाल अख्तर, रविदास मेहरोत्रा, नवाब इकबाल मसूद, पिंकी सिंह यादव, संभल जिलाध्यक्ष असगर अली अंसारी, मुरादाबाद जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह यादव और बरेली जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप को भी शामिल किया गया था।
6- नेताओं को नजरबंद करना बेहद निंदनीय- अखिलेश
शनिवार तड़के ही पुलिस ने इन लोगों के घर पहुंचकर संभल जाने से रोक दिया। प्रतिनिधिमंडल को रोके जाने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार पूरी तरह से तानाशाही पर उतारू है। सत्ता के इशारे पर पुलिस ने उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों नेता विरोधी दल और सपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों को उनके घरों में कैद कर दिया। यह बेहद निंदनीय है।
7- भाजपा शासन की नाकामी है 'संभल हिंसा'
उन्होंने कहा कि उन पर प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार दंगा-फसाद करवाने का सपना देखने और उन्मादी नारे लगवाने वालों पर पहले ही लगा देती तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
बता दें कि पिछले दिनों हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने मस्जिद के सर्वे के आदेश दिए थे। जिसके बाद जब टीम 24 नवंबर 2024 को दूसरी बार सर्वे करने मस्जिद पहुंची तो वहां हिंसा हो गई थी।
8- शहर में 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्ति के आने पर मनाही
मालूम हो कि संभल हिंसा के बाद किसी भी बाहरी व्यक्ति के शहर में आने पर पाबंदी भी लगा दी गई है। ये पाबंदी अब 10 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। इस कारण जिले में किसी भी राजनीतिक दल के प्रतिनिधिमंडल को आने से पहले ही अन्य स्थान पर रोक दिया गया।
9- नेताओं को नजरबंद करना प्रजातंत्र का गला घोंटने समान
इस पर संभल शहर से सपा विधायक इकबाल महमूद ने बताया कि सरकार नहीं चाहती कि वास्तविकता बाहर आये, क्योंकि जब प्रतिनिधिमंडल संभल पीड़ितों के यहां पर आता तो लोग अपनी पीड़ा बताते कि क्या और कैसे हुआ। उस सब पर पर्दा डालने के लिए ऐसा किया गया है। कहा कि उनको घरों में नजरबंद कर देना यह तो प्रजातंत्र का गला घोंटने के समान है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।