दूर होने लगी ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी की दूरियां
समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले मजबूत साथी की जरूरत थी जो ममता बनर्जी के रूप में इनको मिल गया है। कांग्रेस ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
लखनऊ (जेएनएन)। जनता दल यूनाइटेड के साथ ही राष्ट्रीय लोकदल के किनारा कर लेने के बाद समाजवादी पार्टी अब तृणमूल कांग्रेस से संबंध मधुर करने में लगी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल ही इसका संकेत दे दिया। अखिलेश यादव कल लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, अमौसी पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुख्यमंत्री स्वागत करने पहुंचे थे। आज ममता बनर्जी का लखनऊ मेें केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन है।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख समाजवादी पार्टी ने जनता दल यूनाईटेड के साथ ही वेस्ट उत्तर प्रदेश में मजबूत मानी जाने वाली राष्ट्रीय लोकदल के साथ ही पूर्व मंत्री आरके चौधरी की बीएस-4 के साथ नजदीकी बढाई थी। जदयू के नीतीश कुमार व शरद यादव के साथ रालोद के अजित सिंह को लगातार समाजवादी पार्टी के साथ महागठबंधन की बात करते रहते थे। इनको समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समरोह में विशेष अतिथि का दर्जा भी दिया गया था।
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इसके बाद समाजवादी पार्टी ने इनके साथ गठबंधन की जगह विलय की शर्त रखी तो सभी ने किनारा कर लिया। अब जनता दल यूनाईटेड, राष्ट्रीय लोकदल तथा आरके चौधरी की बीएस-4 समाजवादी से अलग होकर एक मंच पर हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले एक मजबूत साथी की जरूरत थी जो ममता बनर्जी के रूप में इनको मिल गया है। कांग्रेस ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ऐसे में अब समाजवादी पार्टी को ममता बनर्जी के रूप में मजबूत साथी मिल गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कल देर शाम मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एयरपोर्ट पर काफी जोरदार ढंग से इस्तकबाल कर नए सियासी रिश्तों के द्वार खोलना शुरू किया है। लखनऊ एयरपोर्ट पर कल मुख्यमंत्री अखिलेश अपने करीबी मंत्री राजेंद्र चौधरी के साथ ममता बनर्जी की अगवानी करने मौजूद थे। यहां पूछे गए सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि 'वह (ममता) उनसे सीनियर है। यूपी आई हैं इसलिए इस्तकबाल को गये थे। इस दावे से इतर यादव की इस पहल को रिश्तों की मजबूती का नया प्रयास माना जा रहा है। अखिलेश तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रदर्शन का मंच साझा करेंगे। इसे गैरभाजपा व गैरकांग्रेस एका की दिशा में पहल के रूप में भी देखा जा रहा है। यह भी साफ होगा कि सत्ता के पांचवें साल में अखिलेश ने यूपी के बाहर की राजनीति में भी पांव पसारना शुरू किया है।
इससे पहले वर्ष 2012 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव व ममता बनर्जी के बीच अच्छे राजनीतिक रिश्ते थे। राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को लेकर मतभेद हो गये थे। इसके बाद से दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ गई थी, मगर जब ममता बनर्जी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तब अखिलेश वहां मौजूद थे। जाहिर है कि इससे रिश्तों की दूरियां कुछ कम हुई थी।
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