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    Ram Mandir Inauguration: रामलला की प्रतिष्ठा के साथ शिखर पर पहुंची रामनगरी, भव्यता का पर्याय बनता जा रहा राम मंदिर

    अयोध्या में रामलला की प्रतिष्ठा का एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर राम मंदिर के साथ रामनगरी का विकास भी तेजी से हो रहा है। राम मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है जिसमें 360 फीट लंबा और 250 फीट चौड़ा मंदिर बनाया गया है। इसके साथ ही रामनगरी की सड़कें और गली-कूचे भी आधुनिक और प्रशस्त हो रहे हैं।

    By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 22 Jan 2025 02:13 AM (IST)
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    रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ आस्था के शिखर पर राममंदिर। सौ. से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट

    रघुवरशरण, अयोध्या। नव्य-भव्य मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा का बुधवार को एक वर्ष पूरा हो रहा है। यह अवधि राम मंदिर के साथ रामनगरी को भव्यता के शिखर पर ले जाने वाली रही है। इस स्वर्णिम यात्रा का आरंभ पांच अगस्त 2020 को हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। 

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    इस दिन घोषित तौर पर राम मंदिर के ही लिए भूमि पूजन हुआ था, किंतु इसी के साथ अघोषित तौर पर रामनगरी को श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी का स्वरूप दिए जाने के भी अभियान का आरंभ हो गया था। 

    भूमि पूजन के बाद के चार वर्षों की यात्रा में यदि इस उन्नयन का आधारभूत ढांचा और भवन तैयार हुआ, तो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से राम मंदिर के साथ रामनगरी शिखर का स्पर्श कर रही है। 

    सामान्य सड़कों और गली-कूचों की पुरातन-पारंपरिक नगरी प्रशस्त मार्गों और नगर नियोजन के आधुनिकतम प्रबंधों से उच्चीकृत हो उठी है। हजारों मठ-मंदिरों के साथ प्रचुर होटल भी रामनगरी की शोभा बढ़ाने लगे हैं। 

    रामनगरी धार्मिक पर्यटन के शिखर की ओर उन्मुख है। यह संभावना अभी से परिलक्षित होने लगी है। राम मंदिर अपनी परिकल्पना के अनुरूप भव्यता का पर्याय बनता जा रहा है। 

    360 फीट लंबे और 250 फीट चौड़े मंदिर का भूतल गत वर्ष ही निर्मित हो चुका है और इसमें रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ आस्था का नित्य प्रतिमान गढ़ा जा रहा है, जबकि तीन तल, 392 स्तंभों, पांच उप शिखर और 161 फीट ऊंचे मुख्य शिखर से युक्त मंदिर का निर्माण मानचित्र के अनुरूप अंतिम चरण में है। 

    यह मात्र भव्य, सुदृढ़ और आकर्षक आकार में संयोजित शिलाओं का भव्य ढांचा ही नहीं है, बल्कि पराभूत अतीत का कलंक मिटा कर उस पर लिखी जा रही अस्मिता और कोटि-कोटि राम भक्तों की आस्था से जुड़ी असीम संभावना भी है। 

    यह संभावना राम पथ से भी प्रशस्त होती है। इस पथ के माध्यम से न केवल रामनगरी का मुख्य आंतरिक मार्ग दो से तीन गुणा तक चौड़ा और यातायात के आधुनिकतम मानकों से सज्जित हुआ है, बल्कि रामजन्मभूमि, पुण्य सलिला सरयू और कई अन्य प्रमुख स्थलों एवं मंदिरों के उत्कर्ष का परिचायक है। 

    रामपथ का एक सिरा रामनगरी की जिस सीमा से शुरू होता है, वहां लता मंगेशकर चौक विकसित है। यह स्वर साम्राज्ञी की स्मृति जीवंत करने के साथ रामनगरी के शिखरगामी पर्यटन की व्यापकता का परिचायक प्रतीत होता है। 

    इसी चौक से लखनऊ-गोरखपुर हाइवे तक पहुंचने के लिए चार सौ मीटर लंबे धर्मपथ से गुजरना होता है। इसके दोनों ओर लगे सूर्य स्तंभ और मुहाने पर स्थापित भव्य सूर्य द्वार रामनगरी के पुराकालीन यशस्वी नरेशाें का स्मरण कराता है। 

    चित्रों और प्रतिमाओं के माध्यम से अभिव्यक्त श्रीराम की गाथा के साथ प्रवाहित 12 किलोमीटर की यात्रा का बोध तब और गहन होता है, जब बाईं ओर महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से सामना होता है। 

    उड़ते और उतरते विमानों के साथ सहज ही परिभाषित होता है कि यह राम मंदिर के साथ रामनगरी की स्वर्णिम संभावनाओं का सर्वाधिक प्रामाणिक साक्षी है।

    अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का प्रशस्त हो रहा मार्ग

    रानी ‘हो’ के स्मारक के साथ अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। उनकी स्मृति में 50 करोड़ रुपये की लागत से भारत और कोरियन शैली से समंवित स्मारक विकसित किया गया है। 

    दो हजार वर्ष पूर्व कोरिया की रानी हो अयोध्या की राजकुमारी थीं और दैवी प्रेरणा से वे सुदीर्घ जल मार्ग द्वारा दक्षिण कोरिया पहुंचीं। वहां उनका विवाह राजा सूरो से हुआ। आज दक्षिण कोरिया में सर्वाधिक स्थापित गोत्र वालों में रानी हो और राजा सूरो के वंशज हैं। नए शोध से पुराने रिश्तों पर से पर्दा हटने के बाद ढाई दशक पूर्व से पुरातन संबंधों में नई जान आ गई है।

    वंदे भारत के साथ सेमी हाईस्पीड ट्रेन की सौगात

    रामनगरी में रेल यातायात व्यवस्था बड़े परिवर्तन की ओर उन्मुख है। अयोध्या जंक्शन आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त होता जा रहा है, वहीं वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ रामनगरी में सेमी हाईस्पीड ट्रेन का युग भी आरंभ हो गया है। 

    गोरखपुर से रामनगरी होते हुए लखनऊ के बीच चलने वाली इस ट्रेन के संचालन के बाद गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली से भगवान राम की जन्मस्थली की यात्रा जहां पहले से कहीं अधिक सुगम हो गई है, वहीं लखनऊ पहुंचना भी आसान हो गया है।

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