बहरे हो जाएंगे! ईयरफोन-हेडफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो हो जाएं सावधान, सरकार ने दी वार्निंग
लखनऊ ईयरफोन का ज्यादा इस्तेमाल सुनने की शक्ति को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। सरकार ने चेतावनी दी है कि तेज आवाज में लंबे समय तक संगीत सुनने से बहरापन हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने और स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कहा है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आपकी सुनने की शक्ति लंबे समय तक सही रहे तो आज से ही ईयरफोन का इस्तेमाल सीमित कर दें। कानों को आराम देना भी जरूरी है, वरना तेज म्यूजिक की आदत जिंदगी भर की खामोशी में बदल सकती है।
अगर आप घंटों ईयरफोन या हेडफोन लगाकर तेज आवाज में गाने या वीडियो सुनते हैं, तो सतर्क हो जाइए। प्रदेश सरकार ने एक अहम चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि लंबे समय तक ईयरफोन -हेडफोन का इस्तेमाल सुनने की क्षमता को स्थायी रूप से खराब कर सकता है।
लंबे समय तक न करें ईयरफोन का इस्तेमाल
शासन की जारी एडवाइजरी में बताया गया है कि तेज आवाज में लंबे समय तक संगीत सुनना, गेम खेलना या वीडियो देखना कानों को धीरे-धीरे इस हद तक नुकसान पहुंचा सकता है कि इंसान पूरी तरह बहरा भी हो सकता है। चिकित्सा के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा द्वारा सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में यह अपील की गई है कि भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक इस खतरनाक आदत से लोगों को जागरूक किया जाए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ईयरफोन या हेडफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से श्रवण हानि (बहरापन) और टिनिटस (कान में लगातार आवाज सुनाई देना) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसे लेकर स्कूल-कालेजों में जागरूकता अभियान चलाने और स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से लोगों को जांच की सुविधा भी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।
इस तरह के लक्षण भी हो जाते हैं
चिकित्सकों का भी मानना है कि एक बार कान की क्षमता क्षतिग्रस्त हो गई, तो उसे श्रवण यंत्र या कोक्लियर इम्प्लांट से भी पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। कम उम्र से यदि बच्चों में टिनिटस की समस्या शुरू हो जाए, तो इसका असर उनकी मानसिक सेहत पर भी पड़ता है। इससे अवसाद, चिड़चिड़ापन और सामाजिक व्यवहार में बदलाव जैसे लक्षण सामने आते हैं।
बच्चों का स्क्रीन टाइम करें कम: (कुछ जरूरी सुझाव)
- ईयरफोन या हेडफोन का अनावश्यक इस्तेमाल न करें, खासकर वायर्ड या ब्लूटूथ डिवाइसेज़ का।
- यदि जरूरी तो 50 डेसिबल से कम आवाज वाले डिवाइस का ही प्रयोग करें।
- ईयरफोन का इस्तेमाल दो घंटे से अधिक मत करें, बीच-बीच में ब्रेक जरूरी ।
- शोर कम करने वाले और कान में अच्छे से फिट होने वाले हेड फोन का इस्तेमाल करें ताकि कम आवाज में भी स्पष्ट सुनाई दे।
- बच्चों की स्क्रीन टाइम कम करें। इससे मस्तिष्क के विकास पर असर पड़ सकता है और सामाजिक व्यवहार भी प्रभावित हो सकता है।
- बच्चों को आनलाइन गेमिंग से दूर रखें, क्योंकि उसमें तेज आवाजें कानों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- सोशल मीडिया का उपयोग सीमित करें और परिवार व दोस्तों के साथ समय बिताने की आदत डालें।
- किसी भी कार्यक्रम या आयोजन स्थल पर ध्वनि का स्तर 100 डेसिबल से अधिक न होने दें।
- नियमित रूप से श्रवण जांच कराएं ताकि किसी भी समस्या की जल्द पहचान हो सके।
इसे भी पढ़ें - इयरफोन ज्यादा लगाते हैं? कमजोर हो जाएगी सुनने की क्षमता, सिर दर्द भी बढ़ेगा; ऐसे करें कानों की सुरक्षा
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।