UP Bijli News: गांवों में 18 घंटे बिजली का वादा, फिर क्यों सिर्फ 12-14 घंटे की सप्लाई? उपभोक्ता परिषद फिर उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने दो डिस्काम के निजीकरण का विरोध करते हुए इसकी मंशा पर सवाल उठाए हैं। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 33 साल पहले नोएडा पावर कंपनी को 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में 12 - 14 घंटे ही बिजली मिल रही है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। दो डिस्काम के निजीकरण की प्रक्रिया का कड़ा विरोध कर रहे उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसकी मंशा पर सवाल उठाए हैं। परिषद का आरोप है कि उत्तर प्रदेश में 33 साल पहले 24 घंटे बिजली देने के लिए निजीकरण करते हुए नोएडा पावर कंपनी को जिम्मेदारी दी गई थी। उसके पास 1. 53 लाख उपभोक्ता हैं।
आज तक ग्रामीण उपभोक्ता को 24 बिजली नहीं मिल रही है। रोस्टर में 18 घंटे बिजली देने का नियम है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में 12 से 14 घंटे बिजली दी जा रही है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 100 दिन बीत गया लेकिन पावर कारपोरेशन निजीकरण की दिशा में एक कंसलटेंट भी नहीं ढूंढ पाया है।
24 घंटे नहीं मिल रही बिजली
ऊर्जा मंत्री का मानना है कि दक्षिणांचल व पूर्वांचल के 42 जिलों के निजीकरण के बाद 24 घंटा विद्युत आपूर्ति सुलभ होगी। निजीकरण के 33 साल बाद भी नोएडा पावर कंपनी के उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली नहीं मिल पा रही है। वहां रोस्टर से भी कम बिजली मिल रही है।
रोस्टर के मुताबिक गांव को 18 घंटे बिजली मिलनी चाहिए लेकिन 12 से 14 घंटे से ज्यादा बिजली वहां नहीं मिलती है। प्रदेश सरकार और जनता को समझ लेना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्र को 24 घंटे बिजली उद्योगपति के सहारे नहीं मिल पाएगी।
उधर बिजली के निजीकरण के विरोध में शुक्रवार को लगातार 100वें दिन प्रदेश भर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का प्रदर्शन जारी रहा। समिति ने आठ मार्च को लखनऊ में सभी घटक श्रम संघों /सेवा संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारियों , जिलों और परियोजनाओं के संयोजक व सहयोजक की संयुक्त बैठक बुलाई है।
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