Vinay Pathak Case: इंजीनियरिंग कालेजों में गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम में भी विनय पाठक ने किया खेल
कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. विनय पाठक की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एसटीएफ की जांच में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। अब दी ...और पढ़ें
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। Vinay Pathak Case दीनदयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम में भी प्रो. विनय पाठक ने खेल किया। डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में वर्ष 2015 से लेकर 2021 तक वह छह साल कुलपति रहे और इस दौरान हर बड़ी कुर्सी पर अपना आदमी बैठाकर उन्होंने उसे अपनी मुठ्ठी में रखा।
साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये तक इस योजना में हुए खर्च
योजना के तहत पहले चरण में वर्ष 2018 में 200 करोड़ रुपये जारी किए गए। इसके तहत 12 सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों व दो प्राविधिक विश्वविद्यालयों में लैब, लाइब्रेरी, ई रिसोर्स व रिसर्च की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना था।
- इस योजना का बजट बाद में बढ़ाकर कुल साढ़े तीन सौ करोड़ खर्च किए गए।
- प्रो. विनय पाठक ने कालेजों को एकेटीयू द्वारा जारी रकम पर कब्जा रखा।
- सरकारी कालेजों को स्पष्ट निर्देश थे कि वह जरूरत का सामान खरीदें बाकी भुगतान केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत एकेटीयू करेगा।
- बजट को दो भाग में बांटा गया 60 प्रतिशत बजट सोलर प्लांट, हास्टलों की मरम्मत, लैब अपग्रेडेशन व दिव्यांगों के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर था।
- बाकी 40 प्रतिशत बजट आटोमेशन, जर्नल, ई रिसर्च व डिजिटल टेक्नोलाजी इत्यादि को बढ़ावा देने पर खर्च किया गया।
पूरा बजट हाथ में रखा, कालेजों ने खरीदा सिर्फ सामान
- ज्यादातर कालेजों में पाठक के ही करीबी निदेशक थे और समय-समय पर उनकी योग्यता पर सवाल भी खड़े हुए।
- आइआइटी दिल्ली में यौन शोषण के आरोप में दंड पाए शिक्षक को उन्होंने एक कालेज का निदेशक बनाया, राजधानी स्थित कालेज में पिछले छह वर्ष से उन्हीं के चेहते निदेशक बनें।
- वर्तमान निदेशक के साथ-साथ पूर्व निदेशक को आल इंडिया काउंसिल फार टेक्निकल एजुकेशन के नियमों को ताक पर रखकर कुर्सी पर बैठाया और वहां विकास कार्य पर खर्च होने वाले बजट पर नियंत्रण रखा।
एकेटीयू में नए कुलपति द्वारा पदभार संभालने के बाद जब सात करोड़ रुपये की फाइलें रोकी गईं तो इसका खुलासा हुआ। आरोप है कि पाठक के इशारे पर उनके नजदिकियों की कंपनी से यही सामान खरीदा गया व कार्य कराया गया। फिलहाल अब जांच जैसे-जैसे तेज हो रही है, वैसे-वैसे घोटाले सामने आ रहे हैं।

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