UPPCL Privatisation : बिजली के निजीकरण की टेंडर कमेटी के अध्यक्ष का नहीं बढ़ा कार्यकाल
Privatisation of UPPCL ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव राज कुमार की ओर से अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में साफतौर पर कहा गया है कि नारंग का कार्यकाल और बढ़ाए जाने के संबंध में शासन स्तर पर औचित्य नहीं पाया गया है। ऐसे में नारंग का कार्य विस्तार अब संभव नहीं है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम के 42 जिलों की बिजली के निजीकरण के लिए गठित टेंडर मूल्यांकन कमेटी के अध्यक्ष निधि कुमार नारंग का कार्यकाल बढ़ाने से राज्य सरकार ने मना कर दिया है।
पावर कारपोरेशन के निदेशक (वित्त) रहते निजीकरण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे निधि कुमार नारंग का अब तक दो वर्ष का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। इस बीच निदेशक वित्त के चयन की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल ने निधि कुमार नारंग का कार्यकाल छह माह और बढ़ाने के संबंध में 14 जुलाई को ऊर्जा विभाग पत्र लिखकर अनुरोध किया था। ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव राज कुमार की ओर से बुधवार को अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में साफतौर पर कहा गया है कि नारंग का कार्यकाल और बढ़ाए जाने के संबंध में शासन स्तर पर औचित्य नहीं पाया गया है। ऐसे में नारंग का कार्य विस्तार अब संभव नहीं है।
चूंकि नारंग ही बिजली के निजीकरण के लिए गठित टेंडर मूल्यांकन कमेटी के अध्यक्ष हैं इसलिए माना जा रहा था कि उनका कार्यकाल अब तक लगातार बढ़ाया जाता रहा है। नारंग को पहले एक वर्ष फिर छह और बाद में तीन-तीन माह का विस्तार दिया गया है।
विदित हो कि 10 अप्रैल को पुरुषोत्तम अग्रवाल निदेशक (वित्त) बनाए गए थे लेकिन 42 जिलों की बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया पर उठ रहे गंभीर सवालों के बीच पुरुषोत्तम ने निदेशक वित्त का दायित्व संभालने से मना कर दिया था। ऐसे में नारंग ही अब तक निदेशक(वित्त) बने हुए हैं।
निरस्त हो निजीकरण की प्रक्रिया, वित्तीय निर्णयों की हो जांच
राज्य सरकार द्वारा बिजली के निजीकरण संबंधी टेंडर मूल्यांकन कमेटी के अध्यक्ष व पावर कारपोरेशन के निदेशक(वित्त) निधि कुमार नारंग का कार्यकाल बढ़ाए जाने से इन्कार के बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से निजीकरण की पूरी प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की है। इसके साथ ही घोटाले की आशंका जताते हुए नारंग द्वारा टेंडर संबंधी वित्तीय मामलों में किए गए निर्णयों की उच्च स्तरीय जांच की भी मांग की गई है।
प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में बिजली कार्मिकों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए सलाहकार के चयन से लेकर तैयार किए गए दस्तावेज एक बड़े घोटाले का अंग है। निजीकरण के लिए ऐसे दस्तावेज तैयार कराए गए हैं जिससे चुनिंदा निजी घरानों को लाभ पहुंचाया जा सके।
संघर्ष समिति ने अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को पत्र लिखकर यह मांग भी की है कि निधि नारंग के शक्तिभवन स्थित कार्यालय को तत्काल सील किया जाए क्योंकि पता चला है कि नारंग निदेशक वित्त कार्यालय से कई गोपनीय दस्तावेज की फोटो कापी कराकर बाहर ले जाना चाहते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।