Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राष्ट्र की बात से अंतिम व्यक्ति तक, PM मोदी ने साधा सियासी दायरा, परिवारवाद का विरोध कर 2027 के लिए स्पष्ट किया खाका 

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 05:30 AM (IST)

    प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र प्रेरणा स्थल के लोकार्पण अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रवाद, सुशासन, अंत्योदय और परिवारवाद विरोधी राजनीति को जोड़क ...और पढ़ें

    Hero Image

    शोभित श्रीवस्तव, लखनऊ। राष्ट्र प्रेरणा स्थल के लोकार्पण अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संबोधन केवल पुष्पांजलि या विकास परियोजना का विवरण ही नहीं था, बल्कि इसके जरिये भाजपा ने वर्ष 2027 के लिए अपनी राजनीतिक दिशा, प्राथमिकताएं और विपक्ष से मुकाबले का खाका स्पष्ट कर दिया। मोदी ने राष्ट्रवाद, सुशासन, अंत्योदय और परिवारवाद का विरोध जैसे विषयों को एक साथ पिरोकर यह संदेश दिया कि भाजपा की राजनीति अब राष्ट्र की एकता से लेकर अंतिम व्यक्ति के सामाजिक सुरक्षा तक एक ही धुरी पर खड़ी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रधानमंत्री ने 'बिना भेदभाव योजनाओं का लाभ' को सच्चा सेक्यूलरिज्म बताकर 'तुष्टीकरण' बनाम 'संतुष्टीकरण' की बहस को धार दी। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अनुच्छेद 370 का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने भाजपा के मूल राष्ट्रवादी एजेंडे को दोहराया। यह संदेश केवल जम्मू-कश्मीर या इतिहास तक सीमित नहीं था, बल्कि यह संकेत था कि बड़े और निर्णायक फैसले लेने की राजनीतिक इच्छाशक्ति सिर्फ उसी के पास है। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि राष्ट्रवाद आज भी उसका सबसे मजबूत और व्यापक अपील वाला नैरेटिव है।

    परिवारवाद की खिलाफत कर दिया स्पष्ट राजनीतिक संदेश

    प्रधानमंत्री ने सामाजिक न्याय को आरक्षण या पहचान की राजनीति तक सीमित रखने के बजाय संतृप्ति और लाभ की समान पहुंच के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने परिवारवाद की खिलाफत कर स्पष्ट राजनीतिक संदेश देते हुए प्रदेश में सपा और कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम, एक्सप्रेसवे, निवेश और औद्योगिक विकास का उल्लेख कर प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश को नए भारत के माडल के रूप में प्रस्तुत किया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा 2027 के विधान सभा चुनाव से पहले यूपी माडल को मजबूती से आगे बढ़ाना चाहती है।

    केंद्र और राज्य सरकार की एकरूपता को विकास की कुंजी बताते हुए प्रधानमंत्री ने योगी सरकार के कामकाज पर राजनीतिक मुहर भी लगाई। यह संदेश न केवल जनता के लिए था, बल्कि पार्टी संगठन के भीतर भी समन्वय और अनुशासन बनाए रखने का संकेत माना जा रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी, मदन मोहन मालवीय, बिजली पासी, सुहेलदेव, बिरसा मुंडा जैसे नामों का उल्लेख सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन का संदेश देता है।

    भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वह केवल एक वर्ग या विचारधारा की नहीं, बल्कि समग्र राष्ट्रवादी विरासत की प्रतिनिधि है। कुल मिलाकर उनके संबोधन में राष्ट्रवाद भावनात्मक आधार है, सामाजिक न्याय नीतिगत हथियार है और विकास चुनावी संदेश। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि आने वाले चुनाव में भाजपा इसी त्रिसूत्रीय रणनीति के साथ मैदान में उरतेगी। ॉ