800 साल पुराने जामा मस्जिद के कागजात नहीं, तो सरकार के हिस्से जाएगी? Waqf Bill के विरोध में मुस्लिमों ने क्या कहा?
संसद ने मुसलमानों के विरोध के बावजूद वक्फ बिल पास कर दिया है। इस बिल के तहत अगर किसी संपत्ति के कागजात नहीं हैं तो सरकार उस संपत्ति को अपने कब्जे में ले सकती है। मुसलमानों का कहना है कि यह बिल उनके धार्मिक अधिकारों का हनन है। शहर काजी डॉ. सालैकीन ने कहा कि वक्फ की संपत्ति हमारे बाप-दादाओं ने दी थी।

जागरण संवाददाता, मेरठ। शाही जामा मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान तकरीर करते हुए कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि मेरठ समेत देशभर से आठ करोड़ मुसलमानों ने अपने हस्ताक्षर किये हुए खत इस बिल के विरोध में भेजे थे। बावजूद इसके इस बिल को पास कर दिया गया।
कहा कि कानून संशोधनों के अनुसार, अब अगर जिस संपत्ति के कागज आपके पास नहीं होंगे तो वह संपत्ति सरकार ले लेगी। कहा कि यह जमा मस्जिद 800 साल पुरानी है, इसके कागज कहां से लाये जाएंगे। इसी तरह बड़ी तादाद में संपत्ति और जमीन हैं।
'वक्फ की संपत्ति बाबा-दादाओं ने दी थी'
शहर काजी डॉ. सालैकीन ने कहा कि वक्फ की संपत्ति हमारे बाप-दादाओं ने दी थी। यह संपत्ति सरकारी या किसी दूसरे की नहीं उनकी व्यक्तिगत थी। शहर काजी ने कहा कि दो दिन चली संसद में बहस में सरकार ने इसे मुसलमानों के हित में बताया, जो गलत है।
कहा कि संविधान में अपने धार्मिक क्रियाकलापों और संपत्तियों के रखरखाव की अनुमति देता है। इस दिल में इसका उल्लंघन किया गया है। बोर्ड में दूसरे धर्म के लोगों को प्रतिनिधित्व देने की बात है। तकरीर में इस बिल का विरोध करने का निर्णय लिया गया। शहर काजी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुसलमान के कई मुसलमान संगठन बिल के विरोध में रणनीति बना रहे हैं, उनके आह्वान पर इसका विरोध किया जाएगा।
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