Pankaj Chaudhary: नगर निगम के पार्षद से केंद्र सरकार में मंत्री के पद तक पहुंचे पंकज चाैधरी,1989 से ही महाराजगंज में डटे
Pankaj Chaudhary: सात बार सांसद होने के बाद भी जनता से इनकी नजदीकी कम नहीं हुई। कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करने में भरोसा रखते हैं। राजनीति के जानकार ...और पढ़ें

भूपेंद्र सिंह चाैधरी, पंकज चाैधरी और मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ
डिजिटल डेस्क, जागरण, लखनऊः उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित सात बार के सांसद पंकज चाैधरी का नाम दिल्ली में हुई मैराथन बैठक में तय किया गया। कर्मठ पंकज चाैधरी भाजपा के जमीन से जुड़े कार्यकर्ता हैं। सात बार के सांसद पंकज चौधरी की कुर्मियों में अच्छी पैठ है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ओहदा पार्टी में हमेशा ठीक रहा है। इसी कारण भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव में भी पार्टी ने उनपर भरोसा जताया। पिछड़े समाज में इनकी मजबूत पकड़ के अलावा संगठन में इनको लेकर कभी गतिरोध सामने नहीं आया। शुरूआत से ही पार्टी की ओर से मिली जिम्मेदारी का बखूबी निवर्हन कर आगे बढ़ते चले गए। इनके विरोधी भी इनके व्यक्तित्व की सराहना करते हैं। सात बार सांसद होने के बाद भी जनता से इनकी नजदीकी कम नहीं हुई। कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करने में भरोसा रखते हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि अपना दल व अन्य सहयोगियों से परंपरागत कुर्मी वोट को अपने ओर आकर्षित करने में पंकज चौधरी काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
गोरखपुर के घंटाघर की हरबंश गली के अपने पैतृक आवास में 20 नवंबर 1964 में जन्मे पंकज चौधरी ने एमपी इंटर कॉलेज और गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण किया। गोरखपुर के उद्योगपति स्वर्गीय भगवती चौधरी एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष उज्ज्वल चौधरी के छोटे सुपुत्र पंकज चौधरी ने गोरखपुर नगर निगम के पार्षद के तौर पर 1989 में राजनीति का सफर शुरू किया। 15 नवंबर 1964 में गोरखपुर के उद्योगपति परिवार में जन्मे पंकज चौधरी की शिक्षा शिक्षा गोरखपुर विश्वविद्यालय से हुई है।औद्योगिक घराने में जन्मे पंकज चौधरी ने राजनीति में कदम रखा और नगर निगम गोरखपुर में पार्षद बने और डिप्टी मेयर बने। पंकज चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में गोरखपुर नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़ने के साथ की थी। वो पार्षद के चुनाव में जीते थे। 1989 में ही गोरखपुर से कटकर महाराजगंज अलग जिला बना, जिसके बाद से पंकज चौधरी ने महराजगंज को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया।
महराजगंज के जिला पंचायत में अजेय खिलाड़ी
पंकज चौधरी राजनीति के इस सफर में महराजगंज के जिला पंचायत में वह अजेय खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। बताते चले कि महाराजगंज जिला पंचायत के अस्तित्व में आते ही पंकज चौधरी के बड़े भाई उद्योगपति स्वर्गीय प्रदीप चौधरी प्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष बने उसके बाद दो बार लगातार पंकज चौधरी की माता उज्ज्वल चौधरी जिला पंचायत की अध्यक्ष बनी। इसके बाद जिस व्यक्ति के सिर पर पंकज चौधरी ने हाथ रखा वह जिला पंचायत का अध्यक्ष बना। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावो में पंकज चौधरी के समक्ष तमाम बाधाएं आईं, विपक्ष में रहते हुए पंकज चौधरी ने जिला पंचायत पर अपना कब्जा बरकरार रखा।
आयुर्वेदिक तेल बनाती है पंकज चौधरी की कंपनी
राजनीति के साथ-साथ पंकज चौधरी एक बड़े बिजनेसमैन भी हैं। आयुर्वेदिक तेल 'राहत रूह' बनाने वाली मशहूर कंपनी हरबंशराम भगवानदास के मालिक हैं। यह तेल खासतौर पर उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल के इलाकों में बहुत लोकप्रिय माना जाता है। बिजनेस की वजह से भी उनकी पहचान एक प्रभावशाली नेता के रूप में बनी है और यही कारण है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में उन्हें किंग मेकर की छवि वाला नेता कहा जाता है।
कितनी है यूपी बीजेपी के अध्यक्ष की नेटवर्थ
चुनावी हलफनामे के अनुसार पंकज चौधरी 41 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं। उनकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन 12वीं तक बताई गई है। 2004 में उनकी संपत्ति एक करोड़ रुपये से थोड़ी ज्यादा थी जो पिछले करीब 20 सालों में बढ़कर 41 करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुकी है। संपत्ति में यह बढ़ोतरी उनके कारोबारी विस्तार और लंबे राजनीतिक करियर से जुड़ी मानी जाती है। इसके अलावा पंकज चौधरी ओबीसी वर्ग के कुर्मी समुदाय से आते हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति में यादवों के बाद कुर्मी समाज को सबसे बड़ा पिछड़ा वर्ग माना जाता है, जिसकी आबादी कई क्षेत्रों में चुनावी नतीजे को प्रभावित करती है।
पार्षद के तौर पर शुरू राजनीति का सफर
पंकज चौधरी वर्ष 1990 में ही भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्य समिति सदस्य हुए। 10 वीं लोकसभा में वर्ष 1991 में महराजगंज संसदीय सीट से भाजपा के सिम्बल पर सांसद चुने गए। 11 वीं और 12 वीं लोकसभा में वर्ष 1996, 1998 में सांसद चुने गए।
1999 में सपा के अखिलेश से हार मिली, 2004 में पुनः निर्वाचित हुए। 2009 में कांग्रेस के स्वर्गीय हर्षवर्धन से हार मिली। 2014 से लगातार लोकसभा के सदस्य हैं। पंकज चौधरी ने पार्टी और पार्टी ने पंकज का हाथ नहीं छोड़ा।
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चौधरी इस बार पांचवीं बार सांसद बने। 2019 में वे फिर से सांसद बने। मोदी कैबिनेट के पहले विस्तार में उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री का पद मिला। 2024 में चुनाव जीते और मंत्री बने।

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