लखनऊ हत्याकांड के बाद घबरा गए अन्य होटलों के मालिक, सबसे पहले करने लगे ये काम; पांच हत्याओं के बाद टूटी नींद
लखनऊ के चारबाग क्षेत्र में 200 से अधिक होटलों में सुरक्षा इंतजाम बेहद कमजोर हैं। अधिकतर होटलों में सीसीटीवी खराब हैं और आग से निपटने की कोई व्यवस्था नहीं। शरनजीत होटल में हुए हत्याकांड के बाद होटल मालिक सुरक्षा मानकों को लेकर सक्रिय हुए लेकिन स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। ये होटल नगर निगम की संपत्ति पर कम किराए में संचालित होते हैं जबकि उनकी कमाई लाखों में है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। चारबाग में छोटे व बड़े मिलाकर करीब दो सौ होटल है। इनमें सुरक्षा व संरक्षा के नाम पर कोई विशेष इंतजाम नहीं है। सुरक्षा गार्ड तो किसी भी होटल में यहां नहीं दिखा। चारबाग की रेवडी वाली गली और गुरुनानक मार्केट के बीच में दो दर्जन से अधिक होटल है जो पचास मीटर की परिधि मेंं है। यहां कोई भी किसी प्रकार का परिचय पत्र देकर होटल में कमरा किराए पर ले सकता है।
शरनजीत होटल में पांच लोगों की हत्या की खबर एक जनवरी की सुबह आठ बजे जैसे ही आसपास के होटल मालिकों व दुकानदारों को मिली, सब ने अपने होटलों में सुरक्षा के सभी मानक पूरा करने की होड़ मचा दी। यही नहीं रेवड़ी दुकानदार व रेस्टोरेंट संचालक घटना से पूरी तरह अंजान बने रहे।
अधिकांश सीसीटीवी खराब
खासबात रही कि अरशद जो होटल में तीस दिसंबर को आया था, उसको किसी दुकान व होटल मालिक ने बहुत ज्यादा निकलते नहीं दिखा। बताया जा रहा है कि यहां लगे अधिकांश सीसीटीवी खराब है या उनका वाई फाई रिचार्ज नहीं है। शरनजीत होटल के बगल में ही शिफ्टी, मनप्रीत, ज्ञान गेस्ट हाउस, अवध गेस्ट हाउस में चेक इन व चेक आउट के बोर्ड भी लग गए और आधार कार्ड के बिना कमरा देने से मना करते रहे।
लखनऊ : आरोपी अरशद। इंटरनेट मीडिया
वहीं रेवड़ी का कारोबार करने वाले व्यापारियों ने बताया कि जिस होटल में घटना घटित हुई है, हैप्पी नाम का युवक चलाता है। एक दर्जन से अधिक कमरे होटल में है। घटना की जानकारी मिलते ही हैप्पी मौके पर पहुंच गया है और कई ग्राहकों से होटल भी उसने एक-एक करके दोपहर एक बजे तक खाली करा लिया।
लखनऊ: बुधवार को नाका के होटल शरणजीत में हत्याएं होने के बाद कमरे की जांच कर बाहर निकलती पुलिस। जागरण
कुछ को हैपी ने कमरे का किराया भी वापस किया जिन्होंने सुबह छह से आठ बजे के बीच में कमरे बुक कराए थे। दो दिन से परिवार होटल के कमरे में रुका था, यह परिवार कही घूमने गया था या नहीं इसकी जानकारी भी होटल कर्मचारी देने से बचते रहे। वहीं घटना के बाद पुलिस ने होटल को कब्जे में ले लिया।
इन होटलों में कोई सुरक्षा नहीं दिखी
परम रेजीडेंसी, संगम होटल, यशोधा होटल, सखावत होटल, शिवम होटल, शिफ्टी होटल, मनप्रीत, ज्ञान गेस्ट हाउस, अवध गेस्ट हाउस हैं, जो गलियाें में संचालित हो रहे हैं। इनमें प्रवेश करने व निकासी का एक ही दरवाजा है। इसके अलावा आग से निपटने के नाम पर काेई ठोस व्यवस्था नहीं है।
तारों का मकड़जाल व लखनऊ विकास प्राधिकरण के नियमों की अनदेखी पूरी तरह से की गई है। स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि यह सभी होटल नगर निगम की संपत्ति है, जिनका किराया सौ से डेढ़ सौ रुपये प्रति माह है लेकिन कमाई हर माह डेढ़ से तीन लाख रुपये तक है।
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