ओमेक्स बिल्डहोम को 25 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश, हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ओमेक्स बिल्डहोम लिमिटेड को 25 करोड़ रुपये जमा करने और नोएडा में 50 अतिरिक्त फ्लैट आवंटित करने का आदेश दिया है। यह फैसला फ्लैट खरीदारों के हित में लिया गया है क्योंकि बिल्डर द्वारा बकाया राशि का भुगतान न करने पर परियोजना अटकी हुई थी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सब-लीज डीड का निष्पादन घर खरीदारों की सूची के आधार पर किया जाएगा।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ओमेक्स बिल्डहोम लिमिटेड को 25 करोड़ रुपये जमा करने और नोएडा में स्थित परियोजनाओं में फ्लैट खरीदारों के पक्ष में पहले से जारी 170 फ्लैटों के अतिरिक्त 50 फ्लैट आवंटित करने का निर्देश दिया है।
बिल्डर/डेवलपर ओमेक्स बिल्डहोम लिमिटेड ने ग्रैंड ओमेक्स और फारेस्ट स्पा नामक आवास परियोजनाओं के विकास के लिए न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) से भूमि पट्टे पर ली थी। दोनों परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वाले याचीगण ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, क्योंकि फ्लैटों की पूरी कीमत चुकाने के बावजूद उनके पक्ष में त्रिपक्षीय समझौते निष्पादित नहीं किए जा रहे थे।
प्राधिकरण समझौते पर अमल नहीं कर रहा था क्योंकि बिल्डर लीज समझौते के अनुपालन में 250 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान करने में विफल रहा था। बिल्डर/डेवलपर को नोटिस जारी करते हुए हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि संपूर्ण बकाया राशि के भुगतान के अधीन, नोएडा अपने अधिकार क्षेत्र में ओमेक्स को किसी भी परियोजना के लिए कोई अधिभोग/पूर्णता प्रमाणपत्र जारी नहीं करेगा।
इसके खिलाफ ओमेक्स ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, जो खारिज कर दी गई थी। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने तरुण कपूर व 29 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने बिल्डरों व डेवलपर्स को कई तरह की छूट देकर एनसीआर क्षेत्र में अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए योजना जारी की थी।
इसका लाभ उठाते हुए ओमेक्स ने 93 करोड़ रुपये (कुल बकाया का 25 प्रतिशत) जमा करा दिया। इसके बाद लंबित 678 में 170 फ्लैटों को मुक्त कर दिया गया और सब-लीज डीड निष्पादित करने का निर्देश दिया गया। न्यायालय ने पाया कि अगली किस्तें 15 अक्टूबर 2025, 15 अप्रैल 2026, 15 अक्टूबर 2026 और 15 अप्रैल 2027 को देय हैं।
बिल्डर के वकील ने तर्क दिया कि प्राधिकरण द्वारा शुल्कों की पुनर्गणना के खिलाफ सिविल रिवीजन दायर की गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि यदि प्राधिकरण 50 और फ्लैट जारी करता है तो बिल्डर 25 करोड़ रुपये जमा करने के लिए तैयार है।
चूंकि इस प्रस्ताव पर प्राधिकरण वे कोई आपत्ति नहीं की थी, इसलिए न्यायालय ने दो निर्देश दिए। पहला, दो सप्ताह के भीतर डेवलपर/बिल्डर द्वारा 25 करोड़ रुपये जमा करने पर 170 फ्लैटों के अलावा 50 अतिरिक्त फ्लैट जारी किए जाएंगे। दूसरा, डेवलपर द्वारा प्रदान क्रेता-बिल्डर समझौते की तारीख/आवंटन की तारीख के साथ घर खरीदारों की सूची, साथ ही पूरक हलफनामे, उन फ्लैटों के संबंध में सब-लीज डीड के निष्पादन का आधार बनेंगे, जो पहले ही जारी किए जा चुके हैं या तत्काल आदेश के अनुसार जारी किए जाएंगे। ----
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