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    UP News: काम की खबर! जांच नहीं बनेगी NPS कर्मचारियों की पेंशन में बाधा, रिटायरमेंट के बाद भी मिलते रहेंगे फायदे

    By Rajeev DixitEdited By: Prince Sharma
    Updated: Wed, 18 Oct 2023 05:30 AM (IST)

    National Pension Scheme राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के दायरे में आने वाले राज्य सरकार के किसी कर्मचारी के खिलाफ यदि नौकरी में रहते शुरू हुई विभागीय या न्यायिक जांच उसके रिटायर होने पर समाप्त नहीं होती है तो सेवानिवृत्ति पर उसके पेंशन खाते से किया जाने वाला भुगतान रोका नहीं जाएगा। इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर विभागों में कई तरह की भ्रांतियां हैं जिससे कर्मचारियों को असुविधा होती है।

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    रिटायर होने पर जारी जांच से नहीं रुकेगी एनपीएस वाले कर्मियों की पेंशन

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के दायरे में आने वाले राज्य सरकार के किसी कर्मचारी के खिलाफ यदि नौकरी में रहते शुरू हुई विभागीय या न्यायिक जांच उसके रिटायर होने पर समाप्त नहीं होती है तो सेवानिवृत्ति पर उसके पेंशन खाते से किया जाने वाला भुगतान रोका नहीं जाएगा।

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    सेवानिवृत्ति के बाद शुरू हुई न्यायिक जांच के मामलों में भी कर्मचारी को उसके पेंशन कार्पस से मिलने वाले हितलाभ प्रभावित नहीं होंगे। राज्य सरकार की सेवाओं में पहली अप्रैल 2005 से भर्ती हुए सभी कार्मिक एनपीएस के दायरे में आते हैं। इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर विभागों में कई तरह की भ्रांतियां हैं, जिससे कर्मचारियों को असुविधा होती है। इन समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य सरकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली नियमावली जल्दी तैयार करेगी।

    वित्त विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया

    जब तक नियमावली तैयार नहीं हो जाती, तब तक के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से जारी किये गए सेंट्रल सिविल सर्विसेज (इम्प्लीमेंटेशन आफ नेशनल पेंशन सिस्टम) रूल्स, 2021 में किये गए कुछ प्रविधानों को अंतरिम व्यवस्था के तौर पर अपनाने का निर्णय किया है। वित्त विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया है।

    शासनादेश के अनुसार एनपीएस के दायरे में आने वाले कर्मचारी को सेवा में कार्यभार ग्रहण करने पर तत्काल एनपीएस में पंजीकरण के लिए तय प्रारूप पर अपना आवेदन कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष को प्रस्तुत करना होगा।

    कर्मचारी की ओर से परिवीक्षा अवधि में अंशदान किया जाएगा और सरकार की ओर से इसमें अपना अंशदान किया जाएगा। निलंबन की अवधि में कर्मचारी चाहे तो अपना अंशदान जारी रख सकता है। ऐसी स्थिति में निलंबन की अवधि में देय वेतन का 10 प्रतिशत अंशदान के तौर पर कटेगा।

    बहाल होने पर अंशदान की जमा की जाने वाली राशि और निलंबन के दौरान जमा की गई रकम के अंतर को उसे प्रान खाते में जमा करना पड़ेगा। अंतर स्वरूप जमा की गई राशि पर उसे सरकार की ओर से सामान्य भविष्य निधि के लिए घोषित दर के बराबर ब्याज मिलेगा। यदि कर्मचारी ने निलंबन की अवधि के दौरान अपने अंशदान का भुगतान नहीं करने का विकल्प चुना था तो सरकार की ओर से उस अवधि के लिए कोई अंशदान नहीं किया जाएगा।

    14 प्रतिशत का मासिक अंशदान कर्मचारी के प्रान खाते में करेगी।

    कार्मिक के चिकित्सीय अवकाश, नागरिक उपद्रव के कारण अवकाश या अध्ययन अवकाश पर होने के दौरान उसे अवकाश वेतन नहीं दिया जाता है या ऐसी दर पर दिया जाता है जो कि पूरे वेतन से कम होता है। ऐसी स्थिति में सरकार काल्पनिक परिलब्धि जिसमें अवकाश वेतन, महंगाई भत्ता और नान प्रैक्टिसिंग भत्ता शामिल है, के 14 प्रतिशत का मासिक अंशदान कर्मचारी के प्रान खाते में करेगी।

    सरकारी सेवा से त्यागपत्र देने पर कर्मचारी को उसके पेंशन कार्पस से एकमुश्त निकासी और वार्षिकी का भुगतान त्यागपत्र स्वीकार होने और कार्मिक के कार्यमुक्त होने की तारीख से 90 दिन के बाद हो सकेगा। यदि कर्मचारी की मृत्यु त्यागपत्र स्वीकार होने की तारीख से 90 दिन के पहले हो जाती है तो भुगतान उस व्यक्ति को किया जाएगा जो नियमानुसार कर्मचारी के रिटायरमेंट से पहले निकासी के मामले में भुगतान पाने का हकदार हो।

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