उप्र के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में अब वाहन घोटाला
अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में वाहन घोटाला पकड़ा गया है। 52 जिलों में गड़बड़ियां सामने आने के बाद अब घोटाले की राशि का आंकलन कराया जा रहा ह ...और पढ़ें

लखनऊ [डॉ. संजीव] । राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में घोटाले के कारण मंत्री तक के जेल जाने और कई मौतें होने के बाद भी सुधार नहीं हो रहा है। अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में वाहन घोटाला पकड़ा गया है। 52 जिलों में गड़बड़ियां सामने आने के बाद अब घोटाले की राशि का आंकलन कराया जा रहा है। सूबे में पिछली सरकार में हुआ एनआरएचएम घोटाला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना था। इसमें मंत्री व आइएएस अफसर सहित तमाम लोग जेल गए थे और कई जानें भी गयी थीं। मामला अभी तक चल रहा था किंतु घोटालेबाजों पर कोई असर नहीं हुआ है। एनआरएचएम का नाम बदलकर एनएचएम कर दिया गया, तो घोटालेबाज यहां भी सक्रिय हो गए हैं।
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हाल ही में करोड़ों रुपये का वाहन घोटाला सामने आया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से शासन को भेजी गयी रिपोर्ट में प्रदेश के 52 जिलों में फर्जी गाड़ियां दिखाकर करोड़ों रुपये के भुगतान की बात कही गयी है। कई ब्लाकों व जिलों में एनएचएम के पैसे पर फर्जी गाड़ियां दौड़ाई जा रही थीं। उनके फर्जी बिल बनाकर लगातार भुगतान भी हो रहे थे। एनएचएम के स्तर पर तो जांच करा ही ली गयी है, शासन स्तर पर सक्षम एजेंसी से इस पूरे प्रकरण की जांच कराने को कहा गया है।
मोटरसाइकिल के नंबर पर कार
परिवहन विभाग की वेबसाइट से गाड़ी के नंबर चेक कराए गए तो हर स्तर पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। घोटालेबाजों ने एक ही वाहन कई ब्लाकों व जिलों में तो लगा ही रखे थे, कुछ जगह दुपहिया वाहन का नंबर कार में दर्ज था। भदोही में यूपी70एबी 9704 नंबर मोटरसाइकिल को कार बताकर भुगतान हो रहा था। चंदौली में नंबर यूपी 65 सीटी 0453 दो ब्लाकों नौगढ़ व चकिया में दर्ज था। इसी तरह सहारनपुर के दो ब्लाकों रामपुर मनिहारन व सुनहटी में एक ही गाड़ी यूपी 11टी 5857 दर्ज थी। एक गाड़ी यूपी 17टी 1465 अलीगढ़ व कन्नौज तो यूपी 40टी 2362 गोंडा व बहराइच जिलों में दर्ज कराकर भुगतान लिया जा रहा था।
बच्चों की सेहत से धोखा
यह पूरा घोटाला राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किया गया है। प्रदेश के 820 ब्लाकों में दो-दो गाड़ियां इस कार्यक्रम के तहत लगाई गयी थीं, ताकि पंचायत स्तर तक जाकर बचों की सेहत जांची जा सके। पता चला कि 52 जिलों के 500 से अधिक ब्लाकों में गाड़ियां ही नहीं थीं और फर्जी नंबर दिखाकर भुगतान लिये जा रहे थे। इस कारण न तो डॉक्टर वहां जा रहे थे, न ही बचों का इलाज हो रहा था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उप्र के निदेशक आलोक कुमार ने कहा कि घोटाले के आरोपी चिह्नित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले चरण में गाड़ियों के नाम पर हुआ फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। शासन को पूरी जानकारी दे दी गयी है। अब इस फर्जीवाड़े में शामिल सभी अपराधियों को चिह्नित किया जाएगा। साथ ही इस पूरे घोटाले में कितनी राशि का भुगतान अवैध ढंग से कराया गया है, उसका आंकलन भी कराया जा रहा है, ताकि दोषियों से उसकी वसूली की जा सके।

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